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अमर सुहाग हो

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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हर सुहागन का अपना अमर सुहाग हो,
आँगन चंद्रमा और गणेश का वास हो
मेरे माथे सिंदूर पति के नाम सजा हो,
हाथ मेंहदी भरा, लाल चूड़ियों भरा हो
ईश्वर का आशीर्वाद सदैव मेरे साथ हो।

अमर मेरा पति, सदैव सुहागन मैं रहूं,
करवाचौथ का व्रत हर साल मैं करूँ
करवा में अंजुली भर पोहा रेवड़ी भरूं,
सात मेवों के संग फल और फूल भरूं
लाल वस्त्र के साथ पूर्ण सुहाग धरूं।

हवन-पूजन की तैयारी कर चाँद निहारूँ,
चौक पूर कर करवा को स्थापित करूँ
गोबर श्रीगणेश जी मध्य कुमकुम करूँ,
अक्षत फूलों को हाथ ले आव्हान करूँ
कलश आम्र पत्ती धर दीपक प्रज्जवलित करूँ।

करवाचौथ की कहानी पढ़ सुनाऊँ मैं
सोलह श्रृंगार कर परिवार संग पूजन
करके चंद्रमा को नमन, अर्घ्य देकर निहारूं,
ऊपर लाल चंद्रमा को प्रणाम करूँ मैं
जीवन में अमर सुहाग की मांग करूँ मैं।

सास, जेठानी, ननद के पैर छूकर मैं,
ससुर जी-जेठ का आशीर्वाद लेऊं मैं
पति परमेश्वर के पैर छूकर पारण करूं,
पहला निवाला उनके हाथ खाऊं मैं
प्रेम-स्नेह का हमारा अटूट रिश्ता रखूं।

मेंहदी से लाल मेरे हाथ सदैव सजें,
हमारा साथ सदैव ईश्वर यहाँ रखे।
उर से सबका हमसे मान सदा बढ़े,
भूलकर भी कभी गलती न हमसे
सौभाग्य सदा मेरा दामन बने रहे॥