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अंधविश्वास से केवल हानि

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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जादू-टोना कुछ नहीं होता है, केवल यह है अंधविश्वास,
अनपढ़, मूर्ख लोग ही, करते इस पर भरोसा, रखते आस।

तंत्र-मंत्र है बेमानी सब, जान लो, इसमें कुछ नहीं रखा,
हानि होती है केवल ही, जिसने अंधविश्वास को है गहा।

गाँव-गाँव में तांत्रिक-मांत्रिक, मिलते नित जाल बिछाये,
वहीं भुगतता जो झाड़-फूँक के अंधविश्वास में है आये।

भूत-प्रेत कुछ भी नहीं होते, केवल यह तो भ्रम है,
जानकार बनते जो ज़्यादा, वे मूर्खों को देते ग़म‌ हैं।

बीमारी होती है यदि तो डाक्टर को जाकर दिखाओ,
मंत्र-तंत्र, नींबू और मुर्गा, को तुम मत अपनाओ।

बलि कराते, बकरा मांगें, उनसे मोटी रकम धराते,
तो भी तो वे पीड़ित को तो तनिक लाभ न दे पाते।

अज्ञानी लोग ही देखो, अंधविश्वास के शिकंजे में जाते।
चतुर और चालाक लोग ही इनको फंदे में हैं फँसाते।

बचना होगा इन धोखेबाज़ों से, इनको दूर छिटकना।
अंधविश्वास को धता बताकर, मक्कारों को दूर पटकना॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।