दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
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यह हिंद है बगीचा ऐसा,जहां फूल सब खिलते हैं,
हिंदू मुस्लिम जैन ईसाई,आपस में जब मिलते हैं।
ना हिंदू की गीता बुरी है,ना ही मुस्लिम का कुरान,
राजनीति चक्कर में यारों,इन्सान बन रहा शैतान।
इन्सान बन रहा है शैतान,अपना धर्म बढ़ाने को,
भाई को भाई काट रहा,सत्ता की कुर्सी पाने को।
क्या ये क़त्ल और लूटमार,तारीफ़ यह ईमान की,
क्या आपस में लड़ना मरना,तालीम यही कुरान की।
वेद उपनिषद व कुरान भी,भाईचारा सिखलाते,
हैं धर्मों के कुछ ठेकेदार,जो आपस में लड़वाते।
उन बीते पल को याद करो,कितने बरबाद हुए थे,
चने चबाए थे गोरों को,तब हम आजाद हुए थे।
नफरत की इस आंधी में अब,वतन अपना बचा लें हम,
हिन्दू मुस्लिम व सिख ईसाई,एकता को बतला दें हम॥