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हम बड़े ना तुम,बड़ा रब

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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(रचनाशिल्प:वज़्न-२१२२,२१२२,२१२२,२ अर्कान-फाइलातुन×3-फा.)
हम बड़े ना तुम,बड़ा रब,ख़ानदानी है।
डींग मारें हम भले वो आसमानी है।

मौत आती सामने जब,बच न पायें तब,
ज़िन्दगी अपनी कहें,दो बूंद पानी है।

ठोकरों के बाद भी जो,यार संभले ना,
खामखां वो गिर रहे ये ज़िन्दगानी है।

यार कोई आसमां सा,है नहीं सच ये,
देखने में आ सका ना,कुछ कहानी है।

उग रहा जो काश्मीरी,और ही बातें,
यार अदना वो नहीं ‘ध्रुव’,ज़ाफरानी है॥

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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