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इंसान हो ?

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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देते हैं हम संदेश सबको,
सदा ही सत्य अहिंसा का।
पर खुद कितना इस पर,
हम लोग अमल करते हैं।
साथ ही कितने स्वार्थी हैं,
हम इस कलयुग में।
जो अपनी ही बातें,
कहते रहते हैं इस युग में।
और कहते है खुद जियो,
औरों को भी जीने दो।
पर कितना फर्क है इसको,
अपने जीवन में अपनाना।
और गर्व से हम कहते हैं कि,
हम अहिंसा के पुजारी हैं।
मन-वचन-काया से हम,
सभी को माफ करते हैं।
परंतु कथनी और करनी में,
बहुत ही ज्यादा अंतर है।
करें नित्य पूजा-पाठ मंदिर,
मस्जिद और गुरुद्वारों में।
करें पाठ नित्य दिन,
अपने अपने ग्रंथों का।
नियम-धर्म का भी हम,
करें नित्य दिन पालन।
पर खुद के क्रोध पर,
नहीं रख पाते नियंत्रण।
कहने को तो इंसान हैं हम,
नहीं करते हिंसा किसी के संग।
दिखाने को कितना कुछ,
बड़े-बड़े मंचों से घोषणाएं करते।
पर अमल खुद पर कितना!
इंसान आज के करते।
मानव रूप में जन्म लेने से,
कोई मानव नहीं होता।
उसका निश्चय और व्यवहार,
मानव जैसा होना जरूरी है।
तभी वो मानव कहलाता है॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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