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सपना चंद्रा की लघुकथाओं में समाज की सच्ची तस्वीर जीवंत-सिद्धेश्वर

पटना (बिहार)।

जिस तरह काव्य विधा में गीत, ग़ज़ल की अपेक्षा सार्थक छंद मुक्त कविता लिखना कठिन है, उसी प्रकार गद्य विधा में उपन्यास, कहानी की अपेक्षा लघुकथा लिखना सर्वाधिक कठिन है। यदि सही-सही जानकारी मिल जाए तो कोई भी विधा कठिन नहीं, क्योंकि किसी भी रचना का सृजन सिर्फ विधागत विशेषता के कारण नहीं, बल्कि आंतरिक संवेदनात्मक विशेषता के कारण होता है। ऐसे ही सपना चंद्रा की लघुकथाओं में समाज की सच्ची तस्वीर जीवंत होती दिख पड़ती है।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी रूप में लघुकथा सम्मेलन का संचालन करते हुए साहित्यकार और संयोजक सिद्धेश्वर ने यह उदगार व्यक्त किए। उन्होंने सपना चंद्रा की चुनी हुई लघुकथा पर लिखी गई डायरी प्रस्तुत करते हुए कहा कि, सार्थक लघुकथाएं एक दृष्टि में पढ़े जाने वाली नहीं होती, बल्कि रुक-रुक कर समझने और रसास्वादन लेने वाली होती है l कुछ ऐसी ही लघुकथाओं का सृजन आजकल भागलपुर की सपना चंद्रा कर रही हैं। यह लघुकथा के मैदान में भी डटकर खड़ी है और अल्प समय में ही अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब भी हुईं हैं। पाठक के हृदय में उनके द्वारा कही गई बातें देर तक भीतर ही भीतर शोर मचा रही होती हैं। एक सार्थक लघुकथा की यही तो विशेषता है।
मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित साहित्यकार सपना चंद्रा ने कहा कि, लघुकथा कम-से-कम शब्दों में जीवन और समाज का तीखा सच उद्घाटित करती हुई मानवीय संवेदना को झकझोर कर हमें अंतर्मंथन को विवश करती है। सम्मेलन की सार्थकता को रेखांकित करते हुए सपना चंद्रा ने कहा कि, साहित्यकार सिद्धेश्वर जी के नेतृत्व में परिषद् ने नवोदित,युवा एवं प्रतिष्ठित लघुकथाकारों को जोड़ने व विधा की सर्जनात्मकता को अभिनव आयाम देने में सकारात्मक भूमिका का निर्वाह किया है।
अध्यक्षीय टिप्पणी में सुप्रसिद्ध लघुकथाकार डॉ. सेवासदन प्रसाद (मुंबई) ने कहा कि, भाव, भाषा और प्रस्तुति के सुन्दर समन्वय में सपना चंद्रा की लघुकथाएं प्रभावपूर्ण और समय संगत है। वस्तुत:, लघुकथा विस्तृत वर्णन या विवरण नहीं है और न कोरा सन्देश है। यह जीवन के क्षण विशेष की गहन अनुभूति का सांकेतिक चित्रण है। सिद्धेश्वर जी ने ठीक कहा कि, लघुकथाकारों को काल दोष से बचना चाहिए। सपना चंद्रा की रचनाएँ स्त्री-भावना की व्यथा, हर्ष या कुंठा को उकेरती रहती हैं। नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं इनकी लघुकथाएं।
इस अवसर पर सपना चंद्रा का एकल पाठ हुआ। लघुकथाकार अनिल सूर आजाद विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल रहे।

सम्मेलन में देशभर के लघुकथाकारों ने जबरदस्त लघुकथाओं को प्रस्तुत कर सृजनात्मक विकास का उदाहरण प्रस्तुत किया। इसमें डॉ. प्रसाद, इंदू उपाध्याय, नलिनी श्रीवास्तव, माधवी जैन, नमिता सिंह और रिमझिम झा आदि रहे। सम्मेलन में धन्यवाद ज्ञापन संस्था की सचिव ऋचा वर्मा ने किया।

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