लोकतन्त्र मजबूत करें
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** छोड़ पुराने राग-द्वेष को,समुचित सत्य सबूत करें। ऐसा ना हो स्वयं मरें औ मानवता ताबूत करें। पाँच वर्ष के बाद पुन: यह वक्त सुनहरा आया…
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** छोड़ पुराने राग-द्वेष को,समुचित सत्य सबूत करें। ऐसा ना हो स्वयं मरें औ मानवता ताबूत करें। पाँच वर्ष के बाद पुन: यह वक्त सुनहरा आया…
आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** वर्तमान अंकुर के तत्वाधान में प्रकाशित साझा काव्य संग्रह पहाड़ी गूंज में हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के रचनाकारों ने अपना अप्रतिम योगदान दिया है। साझा…
सुबोध कुमार शर्मा शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अडिग हिमालय लिये शिवालय, करता सबका आवाहन। त्याग करो प्रमाद द्वेष का, करो प्रकृति आराधन। नंदा देवी पंचाचूली, जीवन को हर्षित करती। नैना देवी आशीष…
उज्जवल कुमार सिंह ‘उजाला’ नजफगढ़(नई दिल्ली) ****************************************************************** कलम की नोक से कागज की कोख पर, कहानियाँ जवानी की मजबूरियाँ दीवानी की, मन के गुबार को हरदम लिखता हूँ कागज को…
डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ये जीवन है इक इम्तहान, सबको देना पड़ता है। जो जीता जीवन सोच-समझ, वही सफलता पाता हैll जीवन के इस इम्तहान में, माहिर भी धोखा…
हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी अविनाश तिवारी ‘अवि’ जी का २९ मार्च को शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..
डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** आम स्वयं पकते हैं और पकाये भी जाते हैं। जो स्वयं पकते हैं,वे डाली से स्वयं टूट जाते हैं। उनमें मिठास भी होती है और नैसर्गिक…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ मिलवाना था अपनों से, तभी तो हमें-तुम्हें इस संसार में लाया है। किये होंगे पूर्व जन्म में कुछ अच्छे कर्म हमने, तभी तो आप जैसे, यार…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** बहुत पुरानी रीत है,भारत के त्योहार। सभी मनाते प्यार से,खुशियों की बौछार॥ भाँति-भाँति के लोग हैं,उनके रीत-रिवाज। सभी धर्म समभाव से,करते हैं मिल…
डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* यूँ तो सागर हैं हम पर मन से खारे नहीं, मौजों में ही जीते हैं हम किनारे नहीं... अपने दिल को जलाकर रोशनी देते…