अभिनंदन स्वागत करुँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** विना ज़ान परवाह के,उड़ा व्योम निज यान। एफ सोलह को है गिरा,अभिनंदन अभिमान॥ आँचल फैलाया वतन,स्वागतार्थ जन आम। शहीद अभिनंदन करे,अभिनंदन अभिराम॥ आओ…

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घातक जाल बिछाये हैं

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************** घर-बाहर या प्लॉट सड़क,हर जगह मौत के साये हैं, हमने ही तो आँख मूँदकर,घातक जाल बिछाये हैं। साफ-सफाई रखकर के,बीमारी दूर भगानी है, जीवन जीने…

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वतन की ख़ुशबू

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* मुझको भाती है सदा अपने वतन की ख़ुशबू, जिसपे क़ुर्बान है हर एक चमन की ख़ुशबू। पाक के टुकड़े किये देश नया…

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अभिनंदन जी का अभिनंदन

श्रीकृष्ण शुक्ल मुरादाबाद(उत्तरप्रदेश)  ***************************************************************** तुम सीमाओं को लाँघ गए,अरि विमान का करने मर्दन, तुम किंचित भी भयभीत न थे,हे वीर तुम्हारा अभिनंदन। तुम छोटे से विमान पर थे,सम्मुख था उन्नत…

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गृहलक्ष्मी

डॉ.रीता जैन’रीता’ इंदौर(मध्यप्रदेश) *************************************************** एक अंकल को दोस्त के बेटे की शादी के समारोह में जाने का मौका मिला। स्टेज पर खड़ी ख़ूबसूरत नयी जोड़ी को आशीर्वाद देकर नीचे उतर…

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कामिनी

पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) **************************************************************************** शादी के रिश्तों ने अपनी दस्तक कामिनी की १२ वीं की परीक्षा से पहले ही दे दी। ना जाने कहाँ-कहाँ से रिश्ते आए,मगर कभी…

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मोटे हो गये

डॉ.जियाउर रहमान जाफरी नालंदा (बिहार) *********************************************************************** खाये इतना सुबह से शाम, मोटे हो गये पतलूराम। नहीं ज़रा-सा अब चल पाते, बैठे-बैठे बस सो जाते। जहां कभी भी वो घर से…

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संवेदनाओं की महक और प्रहार भी है ‘धूप आँगन की’

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** 'धूप आँगन की' सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है,जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाओं के फूलों की गंध को एकसाथ महसूस करके आनन्द लिया…

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कर्मों का फल 

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अभिशापित और दुखी हूँ अपने-आप से। जैसे शनि का युद्ध था अपने ही बाप से। कर्मों का फल है दोष कहां पड़ोसियों…

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‘अपनी माँ के चरणों में वो जन्नत छोड़ आया हूँ…’ -काव्य गोष्ठी में देश प्रेम और वीरता पर हुआ काव्यपाठ

इंदौर। संस्था काव्य सागर,इंदौर की विशेष मासिक गोष्ठ सुदामा नगर में आयोजित की गई। कवि-गीतकारों ने गीत-ग़ज़ल के माध्यम से देश के प्रति अपने भक्तिभाव व्यक्त किये। सांवेर से आए…

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