तुम यहीं हो

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** मैं ढूंढ रहा हूँ,तेरे क़दमों के निशानतुम यहीं हो,तुम यहीं कहीं हो। ये हवा में महक,चूड़ियों की खनकबस यही कह रही है,तुम यहीं हो…तुम यहीं कहीं…

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दंभ मदमाता, नैतिकता कहाॅं ?

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तनिक सफलता दंभ अनल मन, जलता मानव अमन कहाँ है,निशिवासर गुमराह लाभ पद, उन्मादित मन शमन कहाँ है। मानवता की बात कहाँ अब, नैतिकता…

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ख़ामोशी

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह हुनर है एक क़ाबिल बन्दे का,ग़लत सवाल परजो हर वक्त ख़ामोश रहते हैं,सवाल करने वाले को इसी हुनर सेउसे उसकी हद में कर देते हैंबड़ी शिद्दत से यह,हुनर…

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नीरज स्मृति सम्मान से सम्मानित होंगे साहित्यकार डॉ. वेद मित्र शुक्ल

दिल्ली। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा छंदबद्ध कविता विधा में श्री गोपालदास नीरज स्मृति सम्मान से डॉ. वेद मित्र शुक्ल को उनके हिन्दी काव्य संग्रह 'एक समंदर गहरा भीतर' के…

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हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि आमंत्रित

सिरसा (हरियाणा)। अखिल भारतीय स्तर पर सम्मान-पुरस्कार के लिए हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता हेतु प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन, सिरसा द्वारा संचालित हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच (सिरसा) की ओर से यह प्रविष्टि…

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कवि सम्मेलन में दिया २१ नव कवियों को सम्मान

मेरठ (उप्र)। साहित्य संस्था हिन्दी साहित्य अकादमी ने मेरठ में भव्य कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह आई.आई.एम.टी कॉलेज मॉल रोड के सभागार में किया। इसमें पूरे देश से २१ नव…

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सावन आया झूम-झूम के

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मिटा ताप का तेजस काया,झूम-झूम के सावन आयाकाले बादल, बरखा भायी,माया मोह भी अब शरमाईमस्त मगन सावन है आया,धरती माँ का भीगा आँचलबरसे बरखा, फटते…

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…तो याद आया

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** अपनों ने ही मुझे हर बार बातों में फँसाया,फिर किसी से खाया धोखा तो याद आया। कोई नहीं अपना यहाँ, जग पराया हो गया,एक और हो गया बेगाना,…

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ओ सावन के मेघा मतवाले

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** लगे कि जान, निकली जाएजीना मुश्किल है संसार मेंओ सावन के मेघा मतवाले,सब हैं तेरे इन्तजार में। सुरज तपिश ना झेली जाए,लगे दो-दो सूरज निकले हैंइनका काम,…

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कभी पास तो कभी सुदूर

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* शांत पहाड़ की चोटी,सीधे मेरी ओर देखकरन जाने क्यों मुझे,आवाज देती हैअपनी ओर बुलाती है। उस दुर्गम पथरीले गिरि के,ऊंचाई भरे संकीर्ण पथ परचढ़ना सरल नहीं…

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