पुरुष होने की पीड़ा
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** कुछ पीड़ा कुछ अनुभूतियाँ,ठोस चट्टानों तल दबे लावे जैसीहृदय पर विप्लव मचाती रहती है,किंतु उसे बलात दबा करसागर गम्भीर, पर्वत-सा ऊँचा,पीड़ा की वह अवहेलना उपेक्षा करता है…।…