कब आयेंगे….
नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** बोझिल-सी बैचेन निगाहें,ताक रहीं हैं राहों को।कब आयेंगे दिलवर मेरे,थामेंगे इन बाँहों को॥ सपने देख रही है चाहत,अरमानों का संग लिए।स्वप्निल छुअन मखमल जैसी,पल-पल पुलकित अंग लिए।शीतल-प्रीत…