आकांक्षा चचरा ‘रूपा’
कटक(ओडिशा)
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‘नारी की सौम्यता’ लगती सहज तभी,
सोलह श्रृंगार करके मोहक छवि सजीली
प्राण प्रिय मेरी,मेरी घर की सुहासिनी,
कोमल,सुप्रिय तुम मेरे बच्चों की माँ
पायल की छन-छन से दिल को लुभाती हो,
बिंदिया की चमक से मकान को शांति भवन
बनाती हो।
पायल की छनकार घर में होने से,
तेरी मोहक शालीनता छलकती है
संस्कारों में सिमटी नारी ही,
गृहलक्ष्मी लगती है
मेरी प्राण प्रिय,तुम ही मेरी अर्धांगिनी हो,
अन्नपूर्णा,शारदा सर्वगुण संस्कारी हो।
सिर ढक कर शरमाती जब पायल छनकाती हो,
मेरे घर आँगन को स्वर्ग समान बनाती हो॥