मैं तुम्हें फिर मिलूँगी
सुनीता सिंहपश्चिम बंगाल******************************* काव्य संग्रह हम और तुम से मैं तुम्हें फिर मिलूँगी,जब तुम कहीं उदास बैठे होंगेया फिर खुशियों में रमे होंगे,तुम्हे हँसता देख इतराऊंगीमैं तुम्हें फिर मिलूँगी। घास…
सुनीता सिंहपश्चिम बंगाल******************************* काव्य संग्रह हम और तुम से मैं तुम्हें फिर मिलूँगी,जब तुम कहीं उदास बैठे होंगेया फिर खुशियों में रमे होंगे,तुम्हे हँसता देख इतराऊंगीमैं तुम्हें फिर मिलूँगी। घास…
सारिका त्रिपाठीलखनऊ(उत्तरप्रदेश)**************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से सारिका त्रिपाठी,लखनऊ/टैग-काव्य संग्रह हम और तुम से/कविता /शीर्षक- /सब ओल्डooooमैंने तुमसे,जब से प्रेम किया है-तुम्हारे नाम सेनहीं सम्बोधित किया किसी को..!मुझेइस नाम…
तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से दो दिलों का मधुर संगीत से ओत-प्रोत तराना,इनकी खुशबू से मनमुग्ध है सारा फ़साना। हमसे शुरू होकर तुम पर खत्म…
डॉ. जानकी झाकटक(ओडिशा) ************************ रिश्ता यह अनमोल है,प्यार पर अपने हमें गुरूर हैजान से भी ज्यादा हम चाहें उन्हें,कुर्बां उन पर ये जहां है। न आँसू उनके कभी आने पाए,न…
पुष्पा सिंहकटक(ओडिशा)********************************************** हिंदी सबकी पहचान बने,आओ मिलकर इसका सम्मान करें।यह केवल भाषा नहीं,हृदय का है भाव,ऋषि-मनीषियों से हुआ है इसका आविर्भाव।इसमें संस्कृति हंँसती है,भारत की आत्मा बसती हैनित्य नई कलियाँ…
स्मृति श्रीवास्तवइन्दौर(मध्यप्रदेश)****************************** काव्य संग्रह हम और तुम से तेरे आने की खबर जबसे सुनी है,जिंदगी अब जिंदगी लगने लगी है। तेरे कदमों की आहट जबसे सुनी है,तब से साँसें भी…
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** ये किताबों में अक्षरों का समूह,गूंथे हुए मोतियों की माला या बेशकीमती नगीने हैं।अनिर्मित पथ की निर्मित पथिक,जिज्ञासा धर्म काम मोक्ष सर्वस्त्र,छिपे किताबों के सीने है॥ ज्ञान पिपासु…
इंदौर(मप्र)l भगवत भक्ति व राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम ही हमारे भारतीय जनमानस की उत्सवधर्मिता का प्रतीक है। इसी कड़ी में एक सांस्कृतिक आयोजन के अंतर्गत व्यंकटेश विहार कॉलोनी में श्रीमदभगवद्गीता…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* तेरी चाहतें तेरी हसरतें,सभी मिटा दी हमनेअब कोई शिकवानहीं अब तुमसे,रिश्ता नहीं। तुम और तुम्हारे इश्क,दोनों मतलब के होकभी पास बुलाते,हो तुम कभीदूर जाते हो। बेपनाह…
ललित गर्गदिल्ली ************************************** भारत का सड़क यातायात तमाम विकास की उपलब्धियों एवं प्रयत्नों के असुरक्षित एवं जानलेवा बना हुआ है,सुविधा की खूनी एवं हादसे की सड़कें नित-नई त्रासदियों की गवाह…