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जबसे आहट सुनी

स्मृति श्रीवास्तव
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से


तेरे आने की खबर जबसे सुनी है,
जिंदगी अब जिंदगी लगने लगी है।

तेरे कदमों की आहट जबसे सुनी है,
तब से साँसें भी बेकाबू होने लगी हैं।

तेरे शब्दों की आहट जबसे सुनी है,
कानों में सरगम-सी बजने लगी है।

प्रणय का निमंत्रण मुझे जबसे मिला है,
रुह की प्यास तबसे बुझने लगी है।

जबसे नजरें हमारी नज़र से मिलीं हैं,
जिंदगी सतरंगी तबसे होने लगी है॥

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