परिंदों को मिलेगी मंज़िल एक दिन..
इदरीस खत्रीइंदौर(मध्यप्रदेश)************************************************ बात उन दिनों की है,जब मैं कुछ बच्चों को अभिनय सीखने में मदद कर रहा था। २०१२ की उस बैच में कुल १२ में से अभिनय के १…
इदरीस खत्रीइंदौर(मध्यप्रदेश)************************************************ बात उन दिनों की है,जब मैं कुछ बच्चों को अभिनय सीखने में मदद कर रहा था। २०१२ की उस बैच में कुल १२ में से अभिनय के १…
नताशा गिरी ‘शिखा’ मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************** गुरुर नहीं,मैं ताजमहल हूँ,रक्त से सना संगमरमर का अकूहल हूँकितनों का प्रेम उजाड़ कर,अन्दर से बना खंडहरऊपर से दिखता चहल हूँ,प्रेम को घृणित कर देकिया कर्म वो…
डॉ.प्रभात कुमार सिंघलकोटा(राजस्थान)************************************ बसंत ऋतु में प्रकृति नया श्रृंगार करती है। खेतों में झूम उठते हैं सरसों के फूल,किसानों के चेहरे भी खुशी से चमक उठते हैं। आम के पेड़ों…
अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश) ****************************************** जी हाँ,नाम में बहुत कुछ रखा है,फिर चाहे ‘कोरोना’ ही क्यों न हो। आज सारा देश इस बेरहम विषाणु से बचाव का टीका आ जाने और उसे…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* अटल सत्य तो मृत्यु है,जिस पर चले न जोर।काल छीन ले कब कहाँ,साँसों की यह डोर॥ क्षणभर की है जिंन्दगी,करें पुण्य सब कर्म।मृदुवाणी अरु प्रेम से,सदा…
डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से तू हैतो मैं हूँ,तेरे बिनमैं अधूरा।तेरे बिनमैं कैसे,कर पाऊंगासब काम पूरा॥ एक अकेलामैं क्या,कर पाऊंगा!तेरा साथरहेगा तो,सारी दुनिया सेलड़…
डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से विचलित हृदयतल पर धैर्य है प्यार,संवेदना और संभावनाओं से लिप्त है प्यार।अंधेरों में नव विहान का सूरज है प्यार,अनकही…
रंजन कुमार प्रसादरोहतास(बिहार) ******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से झील-से हैं नैन तेरे,चाँद जैसा मुखड़ा हैअपने नैन झील में,मुझे बसा लेना तू। क्या करें तुम्हारे बिना,नहीं रह पाते हमकजरारी…
डॉ. रचना पांडे,भिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ना जाने कितने सपने आँखों में लिए,हम तुम साथ-साथ चल दिए।तुमने मुझे अपनाया,अपने करीब लाया,अब जिंदगी से मुझे कुछ ना चाहिए,जीवनभर…
डॉ. रीता कुमारी ‘गामी’मधुबनी (बिहार)**************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से चुपके से लट कोई सुलझा जाए,साया बनकर,मुझे सहला जाए।उसकी आँखों में यूँ उतर जाऊँ,मेरे सिवा,नजर कुछ ना आए।चाँद-तारे,पूरे करे…