डॉ. रीता कुमारी ‘गामी’
मधुबनी (बिहार)
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काव्य संग्रह हम और तुम से

चुपके से लट कोई सुलझा जाए,
साया बनकर,मुझे सहला जाए।
उसकी आँखों में यूँ उतर जाऊँ,
मेरे सिवा,नजर कुछ ना आए।
चाँद-तारे,पूरे करे ख्वाब सारे,
मेरे वादे,बस मेरा ही ख्याल आए।
मैं…मैं…मैं,बस…मैं और मेरा।
मुझे प्यार दो,मुझे सम्मान दो,
दो…कोई तो दो…थोड़ा तो दो।
दर-दर भटकती,बूंद-बूंद तरसती,
तड़पती आत्मा,कोई मिला नहीं।
मुहब्बत,है माँगने की चीज नहीं,
याचक बन,झोली कोई भरी नहीं।
प्यार,पाने समेटने का कब था नाम,
मैं और मेरा,में डूबा रहा सारा जहान।
लुट जाना सीख लिया,जग सारा जीत लिया,
सिमटा-सकुचा आँचल,नीलगगन पर छा गया॥
परिचय-डॉ. रीता कुमारी का साहित्यिक उपनाम ‘गामी’ है। आपका वर्तमान पता घोघरडीहा एवं स्थाई निवास जिला-मधुबनी (बिहार) में है। १८ फरवरी १९८३ को जन्मी रीता कुमारी को हिन्दी,मैथिली,अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी शिक्षा-नेट,पी-एच.डी.(हिन्दी),बी.एड. व एम.ए. (शिक्षा) में है। इनका कार्यक्षेत्र-अध्यापन है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत ग्रामीण छात्राओं को प्रेरित एवं आर्थिक मदद करती हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख है। कई अखबारों में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। डॉ. कुमारी की लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है। पसंदीदा लेखक-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं प्रेरणापुंज-गुरु डॉ. विनोद कुमार सिंह हैं। आपका जीवन लक्ष्य-स्वयं और समाज को जागरूक करना है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“देश और हिन्दी यानी ललाट और बिन्दी। दोनों की चमक बनी रहे,इसके लिए हमें समर्पित भाव से सेवा करनी चाहिए ।