चाँदनी बरसे,नैना जी तरसे

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. शरद पूर्णिमा का सुंदर चंदा,आलोकित करता है आकाशओ चंदा श्वेत छवि तुम्हारी,हृदय में अद्भुत भाव जगाए।चाँदनी बरसे नैना जी तरसे,पिया मिलन का राग सुनाएहर माह पूनम का चंदा प्यारा,शरद ऋतु कृष्णा को भाए।छिडे़ बांसुरी धुन पे होये रास,राधा प्रियतमा नृत्य है शोभतप्रीत रीत के छंद जगाये … Read more

शरद ऋतु है आई

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. शरद ऋतु है आई,तुम जीवन को है जी लोआज करेगा चन्द्रमा,अपनी सुंदर पूर्ण कलाओंका प्रदर्शन।उत्सव है आज नील गगन में,ऊंघ रहे हैं तारेसिहरन पैदा करतेहृदय में उनके उजियारे।प्रिय धवल,कनेर है फूलती आगमनका गलीचा बिछाती,करती आयी हैं प्रतीक्षाइस अनझिप क्षण में,तुम भी जी लोयह अमृत रस पी लो।महक … Read more

शरद पूर्णिमा है हितकारी

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. शरद पूर्णिमा देखो आया। मौसम अनुपम मन को भाया।सुंदर प्यारा चाँद चमकता। अंतर मन है आप दमकता॥ नाम कौमुदी व्रत कहलाए। शुक्लपक्ष शुभ दिन में आए।आज चाँद दिखता है भारी। किरण आज है अति शुभकारी॥ जन्म लिया लक्ष्मी ने सुन लो। मनोकामना मन से गुन लो।बच्चे का … Read more

चाँद सभी का

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. पूनम के चाँद की चन्द्रिका,दुग्ध सी धवल होती है।बरसाती अमृत धरा पर ये,तन व मन को भिगोती है॥ षोडश कलाओं से संपूर्ण,चांद ज्योति फैलाता है।शरद की पूनम की रात्रि में,रोग सारे हटाता है॥ खूबसूरत लगता है गगन,टिमटिम करते तारों से।पिघलती चाँदनी भी जैसे,लड़ती है अँधियारों से॥ शरद … Read more

झर रहे हैं अमृतबिंदु

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)***************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. रास रचा है चन्द्रमा-शरद पूर्णिमा की रात में,झर रहे हैं अमृतबिंदुपूर्ण क्षीर कुम्भ से। मायाजाल-ज्योत्स्ना की-बिछा है जग में,उमंग जगी है तन-मन मेंशिशिर बिंदु के स्पर्श से। चन्द्रमा का अमृत सिंचन-पृथ्वी करे स्नान,चन्द्रमा,तेरे रूप सेनाचे मोहित समुद्र लहरों से। अमृत कुम्भ,समुद्र मंथन का-जिसकी रखवाली आप चन्द्रमा,शरद पूर्णिमा … Read more

तुम शरद चंद्र की पूर्णिमा

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)************************************************ शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. तुम शरद चंद्र की पूर्णिमा,मैं धरा का…एक दीयाl मेरे जहन की रोशनी में,प्रेम-सा नित झिलमिला।तुम शरद चंद्र की पूर्णिमा… तुम हो ख्वाब जन्नत का,मैं मरघट में…बसा। मेरे विचारों को क्षितिज दे,मुझमें…समा। तुम हो आफताब का नूर,मैं धरा की निर्जीव धूल।तुम शरद चंद्र की पूर्णिमा… तुम प्रेम की … Read more

शरद पूर्णिमा का चाँद

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)************************************************ शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. शरद ऋतु में बयार चल रही है मंद-मंद,वन-उपवन से आ रही फूलों की सुगंध। रंग-बिरंगे फूलों में टपक रहा है मकरंद,भौंरे गुनगुना रहे गा रहे ज्यों छंद। मन पागल आज हुआ निर्बन्ध,चंहुओर छाया देखो उमंग आनंद। पूनम का चाँद आज बरसा रहा है अमृत,ओ! शरद पूर्णिमा के चाँद,ऐसे ही … Read more

करें प्रतिज्ञा मात-पिता के सम्मान की

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************************** आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा,मात-पिता के सम्मान की,जिसने मुझको जन्म दिया,पाल-पोस कर बड़ा किया। उंगली पकड़कर चलना सिखाया,नित्य संस्कार का पाठ पढ़ाया,भूलूंगी कैसे मैं माता को,जिसने स्तन का अमृत पिलाया। भूलूंगी कैसे मैं परम पूज्य पिता को,जिसने गुरु सा ज्ञान दिया,एक तरफ श्री गुरु हैं मेरे,एक तरफ परम पूज्य पिता। ज्ञान का … Read more

शक्ति की आराधना में बही सुंदर रचनाओं की धारा

मंडला(मप्र)l मातृका विवेक साहित्यिक मंच (दिल्ली)पर नौ दिनों तक माँ जगदंबा के नौ रूपों का बहुत ही सुंदर काव्यात्मक वर्णन रचनाकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से किया। भक्ति की शक्ति पर केन्द्रित कविताओं,भजनों,आरतियों ने आध्यात्म की धारा प्रवाहित कर दी।मंच के मीडिया प्रभारी प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे(मंडला,मध्य प्रदेश) ने बताया कि,मंच के समस्त सृजक साहित्यिक … Read more

इन्तज़ार-ए -मुहब्बत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************************** तुम्हारा इन्तज़ार और बेशुमार हसरतें,बीते कितने वासन्तिक और मधुश्रावण प्रिये।जलती रही दावानल विरह के आतप हृदय में,छँटेंगे कोहरे आशा मन किरणें खिलेंगी हिये॥ उपहास बन नित चितवन मुकलित रसाल मुदित वन,कोयल पञ्चम स्वर कूक से चिढ़ाता विरही प्रिये।बहे पुरवईया मन्द-मन्द स्पन्दित विचलित मन,उदास मन अभिलाष लखि घनश्याम नभ मिलन … Read more