जिजीविषा
मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)********************************************************* कभी जो वृक्ष सघन और..छायादार हुआ करते थे,आज उनकी पत्तियाँ…सौंदर्यहीन…नज़र आ रही हैं…।टहनियाँ सारी सूख़ गयीं हैं..उसकी…और सूख़ रही हैं सारी लताएँ…,वृक्ष अपना अस्तित्व बचाने के लिए…आख़िर कहाँ…