छवि है उनकी न्यारी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *********************************************************************** कितनी सुंदर कितनी भोलीछवि है उनकी न्यारी।मनमोहन घनश्याम कृष्ण कीसूरत लगती प्यारी॥ मुरली की धुन सुनो श्याम कीकानों में रस घोले।राधा के संग रास रचायकेवल नयना…

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राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कराई राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी

संकट के दौर में रचनात्मक परिवेश का निर्माण जरूरी-प्रो. शर्मा  उज्जैन(मप्र)। कोविड-१९ के दौर में साहित्यकार रचनात्मक परिवेश का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस दौर में…

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खुशी

सुश्री नमिता दुबेइंदौर(मध्यप्रदेश)******************************************************** खुशी को खुशी से मिलने की, तमन्ना अधूरी ही रह गई… पता ही ना चला मुझे, मैं कब बड़ी हो गई…। ढूंढती रही खुशियां, रिश्तों में दरख्तों…

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बेबसी भाईचारे की

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** भाईचारा शब्द यह,बहुत सुखद संदेश। खोज़ रहे बस जग धरा,यहाँ वहाँ परिवेशll उपदेशक हैं बहु यहाँ,धर्म जाति सम्भाव। नेता साधु मौलवी,लूट रहे दे घावll…

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प्रवासी मजदूरों की दुविधा

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** उत्तरप्रदेश सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ ऐसी घोषणाएं की हैं,जो अगर लागू हो गईं तो अपने गाँव वापस लौटे मजदूरों का काफी भला हो जाएगा…

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तालाबन्दी में ढीली कमान

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** लगता है देश में तालाबन्दी ४.० खत्म होते-होते सरकार के हाथ से कमान छूटने लगी है। मुल्क को कोरोना से बचाने के लिए तालाबन्दी सख्‍ती से लागू…

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मातृभूमि का सपूत

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** देशभक्ति का अथाह सागर भर रखा था अपने सीने में मातृभूमि ही केवल लक्ष्य था उनका ये जीवन जीने में, वीर,कौशल,अभिमानी,प्रताप को शत-शत नमन- कुछ अलग…

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चैत पवनियां

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** चैत पवनियां बहती जाए, लौ बैसाख बुलायो रे ग्रीष्म हाहाकार मचाए, तन-मन तरू झुलसाए। खाली-खाली पोखर नाले, पानी बिन ज्यों खाली प्याले सूखा पन तरसाए, तन-मन…

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सड़क रे,जरा शीतल हो जा

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** सड़क रे,जरा शीतल हो जा,मजदूर आ रहे हैं शहर से भागे जान बचाकर, रोज़ी-रोटी सब कुछ गँवा कर बिन खाये बिन पानी चलते, भूखे पेट को हाथ…

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वो मेरे साथ हो गए

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** तुमने मुझे क्यों चुना, मोहब्बत करने के लिए। मुझमें तुम्हें क्या, अच्छा और सच्चा लगा। मैंने तो तुमसे कभी, निगाहें मिलाई ही नहीं। फिर भी तुमने अपना…

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