एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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शरद ऋतु को करके प्रणाम
अब खुमारी-सी छाने लगी है,
लगता है ऋतु राज़ बसंत की
रुत अब कहीं आने लगी है।
माँ सरस्वती का आशीर्वाद तो
अब पाना है हम सबको-
मन की पतंग भी अब खुशियों
के हिलोरे खाने लगी है॥
पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा अब
खिला-खिला-सा तकता है,
धवल रश्मि किरणों-सा अब
सूरज जैसे जगता है।
मौसम चक्र में मन भावन-सा
परिवर्तन अब आया जैसे-
ऋतु राज बसन्त का अवसर
अब आया सा लगता है॥