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संघर्ष

निदा खान
मुंबई (महाराष्ट्र)
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जीवन है संघर्षों से भरा,
सहारा न किसी का मिला
मिल जाए जो डगर हमें,मंजिल की इन संघर्षों में,
दु:ख में भी लगे अद्भुत ये नज़ारा।

इसीलिए तो हमने खुद को संवारा,
क्योंकि जीवन तो है संघर्षों का पिटारा
अगर आसानी से मिल जाए जो हमने है चाहा,
तो उसमें कहां वो मज़ा जो संघर्षों से है मिला।

जिस किसी को है अपनी मंजिल प्यारी,
वो तो राह में ना अटकता है
भूल जाएं जो मंजिल अपनी,
वो संपूर्ण जीवन भटकता है।

है ठंडी हवाओं का डर उसको,
जो जीवनभर मखमल में पलता है
उसको अंगारों से क्या भय,
जो संघर्षों के काँटों पर ही चलता है।

बेमतलब के बहाने छोड़,
हौंसलों से उन्हें जोड़
दुनिया से अलग जो हो,
इतिहास तो फिर वही रचता है।

जीवन है संघर्षों की डोर,
जोड़ लो इन्हें मेहनत की ओर।
फिर देखना कैसे वो ले जाती है,
तुम्हें सफलता की ओर॥

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