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घर ‘परिवार’ में वार की गुदगुदाती कहानी

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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परिवार श्रंखला(सीरिज)के निर्देशक सागर बेल्लरी,लेखक गगनजीत सिंह और शांतनु अनम हैं तो अदाकार-गजराज राव,यशपाल शर्मा,रणवीर शोरी,शादियां सिद्दीकी,अभिषेक बैनर्जी व निधि सिंह हैं।

पहले चर्चा-

पहले सत्र में कुल ६ अंक (एपिसोड) हैं, जिसमें हर अंक २०-२५ मिनट का है। ये अंक आजकल की अश्लील अंतरजाल श्रंखला पर करारा तमाचा जड़ते हैं,क्योंकि इसमें परिवार, सम्बन्ध,प्रेरणा,विश्वास,अपनापन,प्रेम सब-कुछ देखने को मिलेगा,जो ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ के बाद अब देखने को मिला है।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ‘परिवार’ यानी परिवार में चल रहे वार पर आधारित श्रंखला है,जो पूरी तरह से परिवार के लिए प्रेरणादायक साबित होगी।

कहानी पर नजर-

इलाहाबाद के परिवार के विदुर मुखिया हैं काशीराम नारायण (गजराज राव),जिनके २ पुत्र महिपाल उर्फ बड़का (यशपाल शर्मा), शिशुपाल उर्फ छुटका (रणवीर शौरी) तथा बेटी छुट्टन(निधि सिंह)है। परिवार के बेटे-बेटी पिता को बेसहारा छोड़कर अपने-अपने परिवारों में-अपनी-अपनी नौकरी में मस्ती से ज़िन्दगी जी रहे हैं। पिता का फोन तक नहीं उठाते,पिता को नज़र अंदाज़ करते रहते हैं। यहां तक कि पिता की अंतिम साँस का इंतज़ार करते रहते हैं। ऐसे में पिता अपने नौकर बबलू (कुमार वरूण)के भरोसे पर है। काशीराम के एक पड़ौसी रंगकर्मी गंगाराम (विजय राज)दोस्त भी हैं।
एक बार काशीराम हॉस्पिटल पहुँचते हैं तो बबलू उनकी तस्वीर लेकर तीनों बच्चों को भेज देता है। तीनों पिता से मिलने घर पहुँचते हैं,लेकिन परिवार के वार में घमासान जारी रहता है। मामला एक जमीन को लेकर घर में वार में बदला हुआ है। गंगाराम का बेटा है मुन्ना (अभिषेक बनर्जी),जो बचपन से छुट्टन (निधि)से मुहब्बत करता है।
क्या काशीराम अपने दोस्त गंगाराम की मदद से परिवार जोड़ पाएगा ? क्या बच्चों में परिवार के लिए अपनापन जगा पाएगा ? क्या काशीराम और गंगाराम जमीन का वार खत्म करके परिवार को एक कर पाएंगे ??? क्या मुन्ना अपनी बचपन की मुहब्बत पा पाएगा ?? परिवार का वार (वॉर) जमीन पर खत्म होगा या अपनेपन पर ?? इन सवालों के जवाब के लिए श्रंखला देखी जा सकती है।

क्यों देखें-

पटकथा शानदार लिखी गई है,जो हास्य के साथ व्यंग्य भी उतपन्न करती है। कलाकारों का चयन सटीक और मनभावन है,किरदारों के खट्टे-मीठे सँवाद और अदाकारी शानदार है। निर्देशक कहीं भी पकड़ नहीं छोड़ते हैं।
लेखक गगनजीत सिंह-शांतनु अनम की जुगलबंदी हर दृश्य-दर-दृश्य आपको हँसाएगी और गुदगुदाएगी भी। दोनों भाइयों का झगड़ा बड़ा खूबसूरत लिखते हुए उन्हें कब बड़ों से बच्चा बना देते हैं,समझ से परे ही है,लेकिन यह झगड़ा लाजवाब लिखा गया है।
बबलू नौकर की सूत्रधारिता(नरेशन)भी पकड़ बनाए रखती है,साथ ही प्रस्तुतिकरण एकदम तरोताजा लगता है।

कमज़ोर पक्ष-

कहानी ७० और ८० के दशक की लगती है। देखते-देखते आगे की कल्पना कर लेते हैं, लेकिन फिर भी अदाकारी के साथ सँवाद बांधे रखते हैं। गालियों की ज़रूरत बिल्कुल नहीं थी,इसके बिना भी श्रंखला बनाई जा सकती थी।

अदाकारी-

गजराज राव मुखिया के किरदार से न्याय करते नज़र आए हैं। इन्होंने कुछ सालों में अपने अभिनय का लोहा मनवा लिया है। यशपाल शर्मा लंबे समय बाद दिखे,पर प्रभावी अभिनय से मोह लेने में कामयाब हुए हैं। रणवीर शौरी काबिल एवं प्रभावी अभिनेता है। शादियां सिद्दीकी अरसे बाद दिखी,जिनकी अभिनय क्षमता का आज तक दोहन नहीं हो पाया है। यशपाल ने बड़का और रणवीर ने छुटका के किरदार को जीवंत कर दिया है। कुमार ने बबलू के किरदार को इतनी संजीदगी से निभाया है कि,नौकर के साथ सशक्त सूत्रधार लगने लगते हैं। विजय राज जब भी अदाकारी के जौहर दिखाते हैं, दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वह हर बार किरदार को सौ फीसदी देते हैं। एक छोटे किरदार में पीयूष कुमार भी चित्रकूट में अपनी छाप छोड़ गए हैं। हर किरदार बड़ी ईमानदारी से गढ़ा गया है,और उतनी ही ईमानदारी से निभाया भी है। यह श्रंखला की सफलता की कुंजी है।

गीत-संगीत-

इसके बिना भी श्रंखला आपको बांधने में सफल होगी।

अंत में-

पहले अंक में आप बंधने लगते हैं और आखरी अंक तक खुद परिवार का हिस्सा हो जाते हैं। केवल गालियां नहीं होती तो यह श्रंखला परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती थी। इसमें हास्य और व्यंग्य का भरपूर तड़का देखने को मिला है। इसे साढ़े ३ सितारे दिए जा सकते हैं।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंL आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंL १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैL आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंL

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