डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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काव्य संग्रह हम और तुम से…
श्याम रंग बरसे तन-मन में,
मनुवा आज दीवाना है।
मन के पावन तटबँधों पर,
सुंदर सपन सजाना है।
कितने मीठे बोल तुम्हारे,
सबके मन को भाती हो।
सुंदर-से परिधान पहन जब,
सपनों में तुम आती हो।
जब कोमल बाँहों में भरकर,
मुझको गले लगाती हो।
मेरे इन प्यासे अधरों की,
चाहत और बढ़ाती हो।
कान्हा-कान्हा के जैसे अब,
प्रेम सुधा बरसाना है।
मन के पावन तटबँधों पर
सुंदर सपन सजाना है॥
रोम-रोम में बसती हो तुम,
दौड़ रही हो रग-रग में।
पुष्पों की वर्षा होती है,
जब तुम चलती पग-पग में।
तेरी एक मुस्कान से मैं,
घायल ही हो जाता हूँ।
बहुत कठिनता से तुझ बिन मैं,
अपना मन बहलाता हूँ।
जितनी उम्र बची है बाकी,
तेरे संग बिताना है।
मन के पावन तटबँधों पर,
सुंदर सपन सजाना है॥
परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां, आडंबर, गरीबी, नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।