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दीवानगी

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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काव्य संग्रह हम और तुम से…..


दीवानगी नहीं चाहिए मुझे,
ये मुझे खुद से छीन लेती है
मैं तुमको प्यार करना चाहूं,
खुद से बेगाना कर देती है।

बस तेरा होकर रहना चाहूं,
पर ये भी नहीं करने देती
देती है बस प्यार का भ्रम,
क्योंकि मुझे तो इश्क हो चला है।

उस इंतज़ार से भी,
जो मैं तेरे लिए करती हूँ
उस तड़प से भी,
जो तेरे बिना तड़पाती है।

ये कैसी दीवानगी है!
जो इश्क से नहीं,प्यार से नहीं
तेरे दिए हर दर्द से है,
क्योंकि,मुझे तो इश्क हो चला है।

ऐसी दीवानगी भी,
भला किस काम की
पहले तेरा इंतज़ार कराती है,
मिलने पर डर का दीदार कराती है।

ये दीवानगी न जीने देती है
न मुझे मरने देती है।
कैसी ये दीवानगी,
कहाँ ये दिल की लगी!!

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैL अमरोहा में जन्मीं हैंL वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंL उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैL आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैL लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैL इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैL आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैL इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंL

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