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बीता साल

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’
जयपुर (राजस्थान)
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ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था,
इंसां को उसकी हद समझाने और जगाने आया थाl

लख्त है जिस क़ुदरत का,उसको दोयम इसने मान लिया,
ख़ुदग़रज़ी इंसां ने,खुद को,ख़ुदा जमीं का मान लियाl
ख़ुद-बीं इस नादां को,उसकी ज़मीं दिखाने आया था,
ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था…ll

तबाह किया दरख़तों को इसने,नूर ज़मीं का छीन लिया,
क़ातिल बना,कोह का सीना,जगह-जगह से चीर दियाl
इंसां जो हुआ ज़ुलूम,ये उसको सबक़ सिखाने आया था,
ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था…ll

ज़र्रे सा कद इंसां का,कहता,क़ायनात को जीत लिया,
बलबला आब का,गुमां समंदर जितना करना सीख लियाl
तक़रार जिबिल्लत से मत करना,यह समझाने आया था,
ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था…ll

शुक्रिया कहो कि इसने,इंसां को इंसां के पास किया,
उजड़ी हुई उख़ुव्वत की बग़िया को फिर आबाद कियाl
भटके हुए कारवां को,ये राह दिखाने आया था,
ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था…ll

ना कोसो बीते साल को,ये तो फ़र्ज़ निभाने आया था,
इंसां को उसकी हद समझाने और जगाने आया था…ll

(इक दृष्टि यहाँ भी:हद=सीमा,लख्त=टुकड़ा,अंश, ख़ुदग़रज़ी=स्वार्थी,ख़ुद-बीं=अभिमानी,कोह=पर्वत, ज़ुलूम=महा अत्याचारी,ज़र्रा=सूक्ष्म कण,क़ायनात= ब्रह्माण्ड, बलबला=बुलबुला, आब=पनी, गुमां=घमण्ड, जिबिल्लत=प्रकृति, उख़ुव्वत=बंधुत्वl)

परिचय–निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में  स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।

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