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जिंदगी में…यह साल

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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यह साल,
बहुत ख़ास रहा
जिंदगी की कड़वी यादों में,
मीठी बातों का भी स्वाद रहाl

यह साल बहुत ख़ास रहा,
किन भरम में जी रहे थे
आज तक…?
उनसे जब,
आमना-सामना हुआ
क्या कहूं…!
जिंदगी में,इस साल,
तुज़र्बों का एक काफ़िला-सा रहाl
यह साल बहुत ख़ास रहा…

कुछ के चेहरे से नकली नकाब उतरे,
कुछ को छोड़कर,
हर चेहरा दागदार रहा
कुदरत ने हर चेहरे पर मास्क लगाकर,
चेहरे की अहमियत का वो सबक दिया।
यह साल बहुत ख़ास रहा…

जहां कुछ जिंदगी की हकीकतें समझ गए,
किस दौड़ में जी रहे थे…
बंद घरों में करके कैद में रख दिए,
वहीं कुछ चेहरे दिल में सिमट गए
जिंदगी बंद करती है एक दरवाजा,
तो कहीं कई दरवाजे खुल गए
हर उस प्रेरणा का,
शुक्रिया…
जिसने जिंदा होने का,
अहसास दिला दिया।
यह साल बहुत ख़ास रहा…

जिंदगी की अहमियत का,
इस साल ने वो सबक दिया
जो समझेंगे…सालों को जी जाएंगे,
वरना हर साल में…बस
सालों के कैलेंडर ही बदलते रह जाएंगे,
यह साल बहुत ख़ास रहा…

यह साल बहुत खास रहा,
मैं हारता हुआ भी हर बाज़ी मार गया
जिंदगी का हर दिन अच्छा या बुरा,
हर अनुभव बहुत ही ख़ास रहा
नए साल को सींचूंगा,
इन अहसासों से।
यह साल बहुत ख़ास रहा…

जिंदगी को जीने के, बेमिसाल उम्दा,
इन तरीकों से
यह साल बहुत ही ख़ास रहा।
जिंदगी की हकीकतों को दिखाता,
बेमिसाल आईना रहा…
यह साल बहुत ख़ास रहा…॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

 

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