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भारत माता का वंदन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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अंधकार में हम साहस से,दीप जलाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं॥

चंद्रगुप्त की धरती है यह,
वीर शिवा की आन है
राणाओं की शौर्य धरा यह,
पोरस का सम्मान है।

वतनपरस्ती तो गहना है,हृदय सजाते हैं,
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं…॥

शीश कटा,क़ुर्बानी देकर,
जिनने वतन सजाया
अपने हाथों से अपना ही,
जिनने कफ़न सजाया।

भारत माता की महिमा की,बात सुनाते हैं,
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं…॥

ख़ून बहा,क़ुर्बानी देकर,
जिनने फर्ज़ निभाया
वतनपरस्ती का तो जज़्बा,
जिनने भीतर पाया।

हँस-हँसकर जो फाँसी झूले,वे नित भाते हैं,
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं…॥

सिसक रही थी माता जिस क्षण,
तब जो आगे आए
राजगुरू,सुखदेव,भगतसिंह
बिस्मिल जो कहलाए।

ब्रिटिश हुक़ूमत से लोहा लेने,निज प्राण गँवाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।।

आज़ादी पाई जो हमने,
उसको पोषित करना
हर जन,नित सुख से रह पाए,
सबका दुख है हरना

हर भारत के वासी में हम,देशभाव पाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।।

संविधान है मान हमारा,
जन-जन का अरमान है
भारत माँ का वंदन है वह,
जन-गण-मन का गान है

आर्यवर्त की पुण्यभूमि को,तीन रंग भाते हैं,
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं…॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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