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विदाई

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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आओ मिलकर करें विदाई,
इस वर्ष की अंतिम घड़ी आई।

याद कर ले सब दोस्तों को,
अच्छे-बुरे सब रिश्तों को
अच्छे रिश्ते हैं बड़े अनमोल,
पर बुरे रिश्तों का निश्चय करें तौल।

समीक्षा कर लें क्या हमने पाया,
संघर्ष में हमने क्या मोल चुकाया
कितनों को बना पाया अपना भाई,
स्वकार्य से हमने क्या सम्मान पाया।

आओ मिलकर करें विदाई,
इस वर्ष की अंतिम घड़ी आई।

राजनीति में भी दिखे कई रंग,
मिला मोदी का हमें दोबारा संग
दिखा राज्यों में कम इसका उमंग,
२० में ना जानें कैसी उठेगी तरंग।

ध्यान लगा लें अपने पुराने संकल्प,
उपयोग कर पायें हम कितने विकल्प
पूरा हो पाया क्या सबकी इच्छा,
या करनी होगी नववर्ष में प्रतीक्षा।

आओ मिलकर करें विदाई,
इस वर्ष की अंतिम घड़ी आई।

इस वर्ष चाहें हमें मिला दु:ख,
या महसूस किया सभी पूरा सुख
बीती बातों को अब सभी छोड़,
नववर्ष में शान्ति प्रगति से नाता जोड़।

इस वर्ष मिली हमें कई सौगात,
चाँद पर पहुँचकर मिलाया हाथ,
मन्दिर निर्माण में हुए हिन्दू-मुस्लिम साथ,
समाप्त हुई कश्मीर से ३७० की बात।

आओ मिलकर करें विदाई,
इस वर्ष की अंतिम घड़ी आई।

ऐ वर्ष २०१९ तुझे करता हूँ विदा,
दु:ख होता है तुम से होते हुए जुदा
रखूंगा तुझे याद इतिहास में सदा,
पर करना पड़ रहा है तुम्हें आज विदा।

इस विदाई पर मेरी आँखें हो गई है नम,
जानता हूँ कि तुम भी दुखी न हो कम
सच है यह महत्व नहीं होगा तुम्हारा कम,
इतिहास बन याद किए जाओगे हरदम।

आओ मिलकर करें विदाई,
इस वर्ष की अंतिम घड़ी आई॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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