कुल पृष्ठ दर्शन : 245

भीगी पलकें

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
********************************************************************

(रचनाशिल्प-१६/१६)
भीगी पलकें सुना रही है,
एक अनकही मौन कहानी।
आँखों में शबनम की बूँदें,
लगती प्यारी देख सुहानीll

सपनों का अम्बार लगा है,
चैन नहीं मिलता है इनको।
खोई रहती हैं यादों में,
हृदय बसाकर रखती जिनकोll
अश्क सँजोए रखती हरदम,
पिय की सुन्दर प्रेम निशानी।
आँखों में शबनम की…।

जता रही है प्रेम उसी से,
निर्मल स्वच्छ हृदय जो पावन।
अँसुवन बहती गंगा धारा,
नेह छलकता है मनभावनll
प्रीत बिना दुनिया का मेला,
भाय नहीं अब प्रेम कहानी।
आँखों में शबनम की…।

मन को बहलाना चाहूँ मैं,
चंचल मन अब तो ना माने।
क्या होगा साजन बिन सजनी,
प्रीत बनाने वाला जानेll
कोई कैसे इसको समझे,
मैं तो उसकी हुई दिवानी।
आँखों में शबनम की…की बूँदें,
लगती प्यारी देख सुहानीll

Leave a Reply