अपना समय भी आएगा

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** हरदम पतझर नहीं रहेगा, अली कली को खिलाएगा। कहे 'उमेश' धैर्य रखो तुम, अपना समय भी आएगा। दुख के बादल अब छँट जायेंगे, नभ-बीच शशि…

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भौंसला से सीखे सारा देश ‘जातियता’

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** हरियाणा में जींद के पास एक गांव है,भौंसला। इस गांव में आस-पास के २४ गांवों की एक पंचायत हुई। यह सर्वजातिय खेड़ा खाप पंचायत हुई।…

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उपकार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** भला सभी का कर चलो,और करो उपकार। दीन-हीन को दान दो,स्वच्छ रखो व्यवहार॥ उपकारी बन साथ में,करना ऐसा काम। दु:ख में खुशियाँ दे…

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आषाढ़ के बादल

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** लेकर हल काँधे पर निकल गए भूमिपुत्र सारे, खुशियों को बांटने चले आये आषाढ़ के बादल। माटी की सौंधी-सौंधी महक से झूम उठे खेत, भूमिपुत्रों को…

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लगा रोग हरिनाम का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** रे मन भज जगदीश को,शरणागत हरिनाम। तिलक भाल श्रीखण्ड का,पीताम्बर अभिरामll नारायण शारंगधर,भक्तिप्रेम सुखधाम। पीताम्बर गोलोक सुख,पावन हो विश्रामll रमा चित्त हरि भजन…

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संगम बादल-धरती का

सुश्री नमिता दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** महक उठी इठलाई धरती, बादल के आलिंगन से। पशु-पक्षी लगे चहचहाने, पेड़-पौधे भी लगे लहलहाने। बारिश से अठखेलियाँ करते, फुदक रहे थे नौनिहाल। धरती के…

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अस्तित्व गाथा

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* कब तक रखेंगे अपने को अंधेरे में, कब तक छिपते रहेंगे इतिहासों के पन्ने में। कब तक, हमारे अस्तित्व को सच्चाई से दूर, जातिवाद के अंधकार…

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हमारे पिता

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** प्यार और दुलार, सुंदर मीठी बयार ऐसा पिता का प्यार, कैसे करूं उनका गुणगान...। अपनी इच्छाओं को, देकर कुर्बानी हमारी जिंदगी कर दी सुहानी, घर की…

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हमारे गाँव

वाणी बरठाकुर ‘विभा’ तेजपुर(असम) ************************************************************* बार-बार लौट जाते हैं, हमारे गाँव की उन धूल-कीचड़ भरी राहों पर, गाय बछड़े बैलों के झुंड से धुँधले धूल भरी राहों पर, चलते युवाओं…

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वर्षा

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** लगे सुहानी वर्षा प्यारी। मंद पवन की ठंडक न्यारी॥ छोड़ घोंसला पंछी भागे। पेड़ों पर नव पल्लव जागे॥ कहे पपीहा मीठी वाणी। छुप-छुप किया करे मनमानी॥…

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