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अस्तित्व गाथा

ओमप्रकाश अत्रि
सीतापुर(उत्तरप्रदेश)
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कब तक रखेंगे
अपने को
अंधेरे में,
कब तक
छिपते रहेंगे
इतिहासों के पन्ने में।

कब तक,
हमारे अस्तित्व को
सच्चाई से दूर,
जातिवाद के अंधकार में
भटकाया जाएगा,
कब तक
कोई हिरण्याक्ष,
अस्मिता रूपी पृथ्वी को
रसातल में छिपाता रहेगा।

अब,
तोड़ना होगा
जातिवाद की
कट्टर जंज़ीरों को,
लड़ना होगा
अपनी प्रतिष्ठा हेतु,
मिटाना होगा
जातिभेद रूपी नासूर को।

लिखना होगा
नया इतिहास,
जिसमें
जातिवाद की
कोई चिड़िया चोंच न मार सके,
जिसमें
न कर सके,
कोई भी
फर्क ऊँच-नीच में।

जो
सदियों से,
गायब है
हमारी
मनुष्यता की पहचान,
उसे
अपने हाथों से
कोरे पड़े कागद पर,
चित्रित किया जाए।

जाति-वर्ण की
खाई को,
अक्षरों के माध्यम से
पाटा जाए,
अब तक
जो थे
हाशिए पर,
उन्हें
बराबर का
दर्जा दिलाया जाए।

दिलाई जाए
अभी तक
खोई हुई मर्यादा,
संसार को
उनके
अदृश्य इतिहास को,
दिखाया जाए।
वंचित है
हक से,
समाज के
दुर्व्यवहार से,
बहिष्कृत हैं
समाज से,
जाति प्रतिष्ठाता द्वारा
लिखे गए ग्रंथों से।

अब
स्वयं ही
अपनी प्रतिष्ठा को
प्रतिष्ठित करना होगा,
अपना इतिहास
अपनी
जाति की गाथा को,
आप ही लिखना होगा॥

परिचय-ओमप्रकाश का साहित्यिक उपनाम-अत्रि है। १ मई १९९३ को गुलालपुरवा में जन्मे हैं। वर्तमान में पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती शान्ति निकेतन में रहते हैं,जबकि स्थाई पता-गुलालपुरवा,जिला सीतापुर है। आपको हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी सहित अवधी,ब्रज,खड़ी बोली,भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। उत्तर प्रदेश से नाता रखने वाले ओमप्रकाश जी की पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(हिन्दी प्रतिष्ठा) और एम.ए.(हिन्दी)है। इनका कार्यक्षेत्र-शोध छात्र और पश्चिम बंगाल है। सामाजिक गतिविधि में आप किसान-मजदूर के जीवन संघर्ष का चित्रण करते हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,नाटक, लेख तथा पुस्तक समीक्षा है। कुछ समाचार-पत्र में आपकी रचनाएं छ्पी हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-शोध छात्र होना ही है। अत्रि की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य के विकास को आगे बढ़ाना और सामाजिक समस्याओं से लोगों को रूबरू कराना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ सहित नागार्जुन और मुंशी प्रेमचंद हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज- नागार्जुन हैं। विशेषज्ञता-कविता, कहानी,नाटक लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“भारत की भाषाओंं में है 
अस्तित्व जमाए हिन्दी,
हिन्दी हिन्दुस्तान की न्यारी
सब भाषा से प्यारी हिन्दी।”

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