सुश्री नमिता दुबे
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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महक उठी इठलाई धरती,
बादल के आलिंगन से।
पशु-पक्षी लगे चहचहाने,
पेड़-पौधे भी लगे लहलहाने।
बारिश से अठखेलियाँ करते,
फुदक रहे थे नौनिहाल।
धरती के इस अदभुत स्वागत से,
फूला नहीं समाया बादल भी आज।
स्नेह की बारिश से उसने,
भरपूर प्यार लुटाया…।
तभी उठे गरम हवा के,
गुब्बारे ने बादल को पिघलाया।
पल में ही कोहराम मचाया,
बादल का अस्तित्व मिटाया।
आँसू बहाती उदास धरती,
अब कोस रही थी मानव को।
उसके वृक्षों को नोंच-नोंच कर,
धरती को फिर उजाड़ दिया।
विरह से दुखी वसुधा,
बोल रही थी मानव को।
भौतिक सुख के लालच में,
यूँ ही ना उजाड़ अपने आँचल को।
अदभुत ही रहने दें,
बादल-धरती के इस संगम को॥
परिचय : सुश्री नमिता दुबे का जन्म ग्वालियर में ९ जून १९६६ को हुआ। आप एम.फिल.(भूगोल) तथा बी.एड. करने के बाद १९९० से वर्तमान तक शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। आपका सपना सिविल सेवा में जाना था,इसलिए बेमन से शिक्षक पद ग्रहण किया,किन्तु इस क्षेत्र में आने पर साधनहीन विद्यार्थियों को सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन देकर जो ख़ुशी तथा मानसिक संतुष्टि मिली,उसने जीवन के मायने ही बदल दिए। सुश्री दुबे का निवास इंदौर में केसरबाग मार्ग पर है। आप कई वर्ष से निशक्त और बालिका शिक्षा पर कार्य कर रही हैं। वर्तमान में भी आप बस्ती की गरीब महिलाओं को शिक्षित करने एवं स्वच्छ और ससम्मान जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। २०१६ में आपको ज्ञान प्रेम एजुकेशन एन्ड सोशल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा `नई शिक्षा नीति-एक पहल-कुशल एवं कौशल भारत की ओर` विषय पर दिए गए श्रेष्ठ सुझावों हेतु मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा और कौशल मंत्री दीपक जोशी द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा श्रेष्ठ शिक्षण हेतु रोटरी क्लब,नगर निगम एवं शासकीय अधिकारी-कर्मचारी संगठन द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है। लेखन की बात की जाए तो शौकिया लेखन तो काफी समय से कर रही थीं,पर कुछ समय से अखबारों-पत्रिकाओं में भी लेख-कविताएं निरंतर प्रकाशित हो रही है। आपको सितम्बर २०१७ में श्रेष्ठ लेखन हेतु दैनिक अखबार द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजा गया है। आपकी नजर में लेखन का उदेश्य मन के भावों को सब तक पहुंचाकर सामाजिक चेतना लाना और हिंदी भाषा को फैलाना है।