बरसो मेघा रे….
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखी है धरा- बरसो रे ओ मेघा... कर दो हरा। सूखे हैं ताल- कर दो हरियाली... भूखे हैं बाल। वन पुकारे- बढ़ता रेगिस्तान...…
निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखी है धरा- बरसो रे ओ मेघा... कर दो हरा। सूखे हैं ताल- कर दो हरियाली... भूखे हैं बाल। वन पुकारे- बढ़ता रेगिस्तान...…
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** चुप्पी मेरी कहती है कुछ। नदिया-सी बहती है कुछ। देशहित की बाजी मित्रों, आत्मबल चाहती है कुछ। रक्त खौला माँ भारती जो,…
डॉ. लखन रघुवंशी बड़नगर(मध्यप्रदेश) ************************************************** पक्षियों को समंदर से प्यार है, वे जब भी पानी को छूकर अपने पंख फड़फड़ाते हैं, मानो समंदर की सोयी आत्मा को जगाते हैं। और…
पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़) ****************************************************************************** बैठे-बैठे मन कहीं खो गया, कड़ी धूप में आज रो दिया... दूर दूर तक हाय पेड़ नहीं, ना हवा ठंडी है,ना छाया कहीं। रूक जाओ अब…
वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* गरीब सोहन की फुटपाथ पर मोची की एक दुकान थी। सारा दिन धूप में बैठकर जूते सुधारता। इसी से उसकी रोजी-रोटी चलती। वहां बैठे-बैठे शहर…
मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** आहत होती घर में माता गर सम्मान न मिल पाए, उसके पोषित पुत्र सभी अब गैरों के पीछे धाए। हिन्दी की भी यही दशा है…
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** बड़ा न उसको जानिये, जिसके उर अभिमान। झुकते हैं नित ही बड़े, जैसे झुकती धान॥ बड़ा वही जो जानता, पर हृदय की पीड़। देता उसको…
ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* विश्व प्रसिद्ध भारत माता मंदिर के संस्थापक,भारतीय अध्यात्म क्षितिज के उज्ज्वल नक्षत्र,निवृत्त शंकराचार्य,पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि मंगलवार सुबह हरिद्वार में उनके निवास स्थान राघव कुटीर में…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान) *********************************************************************************- आओ मेघा राजा आओ, प्यासी धरती जल बरसाओl सूखी नदियाँ ताल-तलैया, आकर इनकी प्यास बुझाओl आओ मेघा राजा... ढोर पखेरू मानुष सारे, तड़प रहे…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ जीवन है अनमोल तो, क्या लगाओगे तुम मोल। बिकता है सब-कुछ, पर मिलता नहीं जीवन। इसलिए 'संजय' कहता है, क्यों व्यर्थ गवां रहे हो, यह मानव…