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सोच

वन्दना पुणताम्बेकर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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गरीब सोहन की फुटपाथ पर मोची की एक दुकान थी। सारा दिन धूप में बैठकर जूते सुधारता। इसी से उसकी रोजी-रोटी चलती। वहां बैठे-बैठे शहर के सारे नजारे देखता रहता। आए दिन देखता रहता कि शहर की दीवारों पर बड़े-बड़े पोस्टर लगते रहते। कभी किसी चुनावी दौर के नेताओं के,तो कभी किसी बड़ी कम्पनियों के फायदे के,तो कभी किसी प्रदर्शनी इत्यादि के। आज भी एक प्रसिद्ध टेलीकॉम कम्पनी का एक व्यक्ति वहां आकर दीवार पर पोस्टर लगाने लगा। पोस्टर सही तरीके से नहीं लगने के कारण वह उसे हर बार फाड़कर फेंक देता,और नया पोस्टर निकाल कर लगाता।सोहन उसे देखकर क्रोधित होते हुए बोला,-“ये क्या बार-बार पोस्टर फाड़कर फेंक रहे हो।कितना कागज बर्बाद कर रहे हो।” इस पर वह व्यक्ति गर्वित मुस्कान के साथ बोला,-“देख नहीं रहे हो,कम्पनी की तरफ से गठ्ठाभर पोस्टर आये हैं,बड़ी कम्पनी है,उसे क्या फर्क पड़ता है,कि मैं कितने पोस्टर फाड़कर फेकता हूँ।” कहते हुए उसने एक व्यंग्यात्मक मुस्कान बिखेरी। उसके लिए तो यह फोकट का माल था। इस पर सोहन बोला,-“भाई तुम्हें और तुम्हारी इस कम्पनी के मालिक को क्या पता कि गर्मी की तपिश क्या होती है! कागज बनाने में पेड़ों का का उपयोग किया जाता है,और उससे पर्यावरण को कितना नुकसान होता है। तुम जैसे लोग अपनी मतलबपरस्ती के लिए,अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए और अपने फायदे के लिए कागज को इस कदर बर्बाद कर रहे हो। प्रचार-प्रसार के लिए कुछ और तरीके ईजाद करो, ताकि पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे,और अपने आने वाली पीढ़ी को उचित पर्यावरण हम दे सकें। पौधों को लगाकर पर्यावरण बचा सकें और सब सुकून से जी सकें,ना कि इस कदर कागज को बर्बाद कर। इस छोटे से मोची सोहन की सोच सुनकर उसने भी पर्यावरण की कमी और वाहन प्रदूषण के चलते शहर में भारी गर्मी का अनुभव महसूस करते हुए एवं सोहन की बात पर सोचते हुए चिंतित नजरों से उसकी ओर देखते हुए बोला,-“भाई तुम बात तो बिल्कुल सही कह रहे हो,हम सभी को इस विषय पर सोचना होगा। और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण बचाने में एक कदम हमें खुद भी आगे बढ़ाना होगा।” उसकी बात सुनकर सोहन ने उससे अपनत्व से हाथ मिलाया। एक ही पोस्टर को सही तरीके से लगाने में उसकी मदद कर वह मुस्कुरा उठा ।

परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर १९७० है। इंदौर जिला निवासी वंदना जी की शिक्षा-एम.ए.(समाज शास्त्र),फैशन डिजाईनिंग और आई म्यूज-सितार है। आप कार्यक्षेत्र में गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधियों के निमित्त आप सेवाभारती से जुड़ी हैं। लेखन विधा-कहानी,हायकु तथा कविता है। अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं,जिसमें बड़ी कहानियां सहित लघुकथाएं भी शामिल हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-रचनात्मक लेखन कार्य में रुचि एवं भावनात्मक कहानियों से महिला मन की व्यथा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है। प्रेरणा पुंज के रुप में मुंशी प्रेमचंद जी ओर महादेवी वर्मा हैं। इनकी अभिरुचि-गायन व लेखन में है।

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