अरिहंतों को नमन

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** दिव्य लोक की राह में,रश्मि पुंज के मंत्र। महावीर क्षण साधना,जीवनभर का तंत्र॥ अरिहंतों को नमन है,सिद्धजन नमस्कार। साधक संतों नमन है,कृपा…

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किसी को मिलती मलाई,किसी को बासी भात नहीं..

लालचन्द्र यादव आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** आज यहां क्या लोकतन्त्र है! कुछ कहने की बात नहीं है। जो जितना पाये ले जाये, मुझे कोई आघात नहीं है। किसी को मिलता…

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नजर का वार

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** नजर का वार दिल पर कर गया है। नयन की मार से वह मर गया है। जिसे देखा नहीं हमने नजर भर, उसी से…

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मतदान करने के संकल्प के साथ कराई काव्य गोष्ठी

इंदौर। काव्य सागर संस्था इंदौर की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन जयनारायण पाटीदार कुंवर के निवास पर हुआ। शहर भर से आए कवि और श़ायरों ने गीत-गज़ल-कविताओं से यहाँ ऐसा…

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न्यायपालिका की अग्नि-परीक्षा

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** हमारे सर्वोच्च न्यायालय की इज्जत दांव पर लग गई है। पहले तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन-उत्पीड़न का आरोप लगा और अब एक वकील…

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सुहानी शाम

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* शाम सुहानी आ गई,पंछी करते शोर। लौट रहे हैं नीड़ को,बाँध प्रीत की डोरll बैलों की घंटी बजे,जस वृन्दाबन धाम। ग्वालों की टोली लगे,संग श्याम…

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ये कैसी प्यास है

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ भावना और भाव, दोनों में अंतर हैl प्यार और प्यास, दोनों आपस में क्या एक-दूसरे के पूरक हैं ! मैं कुछ समझा, और न समझा। मुझे…

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चली गिलहरी

डॉ.जियाउर रहमान जाफरी नालंदा (बिहार) *********************************************************************** चली गिलहरी कवि सम्मेलन में एक कविता पढ़ने, थी इच्छा सम्मान की इतनी लगी रातभर रटनेl आई जैसे ही माइक पर भूल गई वो…

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सिसकता किसान

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** भंडार अन्नपूर्णा का बढ़ाएं, खेतों से काट फसलें जमा करता है खलिहान, कोटि-कोटि जनता का अन्नदाता है मगर अपने ही घर में, सिसकता किसान...,सिसकता…

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मुझे तुम याद आते हो

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* यूँ ही बिन मौसम की बरसातें मेरी छत पर टप-टप करती बूंदें जहन में जाने कैसी हुलस-सी, जब भर जाती हैं मुझे तुम याद आते हो...।…

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