कीजिए खूब ‘मतदान’

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* कीजिए मिलकर प्रेम से,खूब मतदान, बनेगा इसी से अपना भारत देश महान। बेहतर भविष्य चाहिए, 'मत' दे आईए, नेताओं को समझिए,देशहित सोचिए। बदलाव लाना है…

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पेट की आग

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ मेरठ (उत्तरप्रदेश) ****************************************************** बल-प्रयोग के जहरवाद से, दु:खी पेट की आग। उत्पीड़न के नसतरंग का नहछू और नहावन, छुआछूत की दाल-पिठौरी पत्थर का परिछावन, कुमुदिनियों के अंग-अंग…

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शाप देने का सुख

अरुण अर्णव खरे  भोपाल (मध्यप्रदेश) *********************************************************************** पुरातन इतिहास में निर्मल हृदय,सच्चरित्र और गुणवान व्यक्तियों द्वारा अनैतिक और धर्मविरुद्ध कार्य करने वालों को शाप दिए जाने के अनेक उदाहरण मिलते हैं,पर…

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दरवाजे की चीखें

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** मेरी डायरी-भाग ३ रात के 9 बज रहे थे और वह निर्दयी नशे में धुत मेरे दरवाजे को ईंटों से पीट रहा…

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महापर्व-मतदान️ करें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** क्या आपने मतदान किया ? मित्रों,हाँ हमने मतदान किया, मत के न केवल अधिकारी हम वरन् कर्तव्यनिष्ठ जाग्त सशक्त, सतर्क सदा तत्पर प्रबुद्ध…

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‘मातृ दिवस’ पर फिर बड़ी स्पर्धा,नवोदितों को जीतने का विशेष मौका

इंदौर। सक्रिय और लोकप्रिय हिंदीभाषा डॉट कॉम (पोर्टल) से जुड़े सभी रचनाशिल्पियों (पंजीकृत सदस्य) और नवांकुरों के लिए भी अब तीसरी मासिक स्पर्धा कराई जा रही है। 'मातृ दिवस' पर…

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छुट्टी गर्मी की

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ लो हो गयी छुट्टियां गर्मियों की, मन में जगी आस अपनों से मिलने उत्सुक है होगी मीठी बातl कुछ शादियों में जायेंगे जमकर धूम मचाएंगे,…

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तुम्हारी प्रीत के पौधे

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** झुकी पलकें अगर मेरी,तेरा मैं मान करता हूँ, उठी पलकें तो मानो यूँ,तेरा गुणगान करता हूँ। अगर पलकें हुई बोझिल,तो समझो याद करता हूँ, अगर…

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उठता धुआँ..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ कर बंदगी- धुआँ बन उड़ती, यह जिंदगीl कर तू दुआ- न जले कोई घर, न उठे धुआँl उठता धूम्र- दूषित होती हवा, घटती…

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आतंक और दो बूंद आँसू

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** उफ़्फ़!! क्या लिखूँ....? कैसे लिखूँ....? इस अबोध की भाँति आज, कलम हमारी थम गयी। देखकर यह तस्वीर रातभर मैं सो नहीं पाया, आँखों से…

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