खुशियों के बीज
कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… हरी-भरी वसुन्धरा को, देख कर मेरा वतन मुस्कुरा रहा है ऐसे, फूल का कोई चमन। हर जवान देखता है,…
कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… हरी-भरी वसुन्धरा को, देख कर मेरा वतन मुस्कुरा रहा है ऐसे, फूल का कोई चमन। हर जवान देखता है,…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… यह है धरती सबकी जननी। सब जीव-जनाश्रय है उरवी। यह भू-महिमा अति पुण्यमयी। अति सुंदर है सब सार गहीll पद…
कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… अब दरख़्तों के लिए सोचें सँभलना है अगर, पेड़ की रक्षा करें खुशहाल रहना है अगर। आम,पीपल,नीम,तुलसी,बेल,बरगद के लिए…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… मैं थी इक धरती न्यारी-सी, अपने सूरज की प्यारी-सीl मुझको प्रियतम का प्रेम मिला, मेरे आँचल में…
रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… जरूरत आन पड़ी पृथ्वी पर पृथ्वी दिवस मनाने की अपनी धरती के संरक्षण हेतु देखो अलख जगाने की, जूलियन…
जसवंतलाल खटीक राजसमन्द(राजस्थान) ************************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष............... धरती माँ,की आँख में,आँसू, वो चीख-चीख,कर कहती है। क्यों,जहर मुझमें,घोल रहे हो, मुझमें,सारी दुनिया रहती हैll तुम थोड़े से,लोभ-लालच में, कल-कारखाने,चलाते…
मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** जीवन के पल जो काँटों से चुभते हों, जो अज्ञान अँधेरा बन मन में अँधियारा भरता हो, पल-पल चुभते काँटों के जख़्मों पे मरहम लगाते…
पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** रचना शिल्प:काफ़िया-आज़,रदीफ़- मैं लिख दूँ सियासी खेल के हर शख्स का राज़ मैं लिख दूँ, बदलते देश के हालात पर अल्फ़ाज़ मैं लिख दूँ।…
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** चुनौतियां बन गया तुम्हारा तिरस्कार, झूठी दुनिया और अपना घर परिवार। देखो भौंक रही हैं मेरी समस्त गज़लें, और अक्षर बन गए…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ होगा जहां अपनों में स्नेह प्यार, खिल जायेंगे वो,घर और परिवार। दोगे यदि माता-पिता को,तुम सम्मान, तो निश्चित ही,पाओगे अपार प्यार॥ महक जायेंगे वो,घर और परिवार,…