कूष्माण्डे दया कर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* दुर्गा दुर्गम ज्ञानदा, महाशक्ति अवतार।कुष्मांडा माँ चतुर्थी, महिमा अपरंपार॥ दुर्गदैत्य दावालना, खल दल हर संसार।कृपासिंधु जगदम्बिके, क्षमा दया आगार॥ कुष्मांडा पद वन्दना, पूजन अर्चन…

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नारी के रुप

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* नारी तेरे रुप अनेक,ज्ञान धन और विवेक। नारी तुम हो बड़ी महान,हर युग की तुम हो शान। त्याग तपस्या व बलिदान,ममता की है तू…

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जीवन है जीने का नाम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** जीवन है जीने का नाम,हँसना-हँसाना सबका कामखुशियों का बाजार यहाँ,लगता नहीं है कोई दाम। प्रेम भाव मन में रखना है,ईश्वर का तुम कर लो ध्यानपल का पता…

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शक्ति और भक्ति अनमोल उपहार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** शक्ति, भक्ति और दिखावा... यह नम्रता और सुचिता को,सादर आभार हैदैवीय शक्ति को सम्बल,हृदय पुष्प से किया जाताअपूर्व दर्शन संग सत्कार है। शक्ति और भक्ति का,अन्योन्याश्रय सम्बन्ध हैसबमें मधुर…

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अमृत की तलाश…

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** मुझे नीर की प्यास नहीं, मुझे अमृत की तलाश है,स्वाति नक्षत्र की बूँद सम, सीप अंक की तलाश है। तुम ढूँढो फूलों में खुशी, मुझे सौरभ की…

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कोई रोक सके तो रोक ले

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* विजयादशमी विशेष... मैं जा रहा रावण की शरण में,कोई रोक सके तो रोक लेरावण को तो राम ने मार दिया था,फिर क्यों उसे तुम…

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शक्ति, भक्ति और दिखावा

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** शक्ति, भक्ति और दिखावा... जगह-जगह है आज दिखावा।भक्ति भाव का करते दावा॥मन में कितना द्वैष समाया।सच्चा मन कैसे कहलाया॥ मन धीरज हिय कैसे आए।निंदा में जब…

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रावण फूंकने को धधकाएँ शोला

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** विजयादशमी विशेष... चलो, चलें दशहरा हम सब आज मनाएँ,झोंक आग दशानन को विजय पर्व मनाएँऐतिहासिक इस महापर्व का मानवीय भाव जगाएँ,असत्य पर सत्य विजय का…

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मत बनना तू बेरहम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* दुनिया कितनी बेरहम, दया-धर्म से दूर।मानवता ने खो दिया, अपना सारा नूर॥ जो होता है बेरहम, पशु के जैसा जान।ऐसे मानव को कभी, नहीं मिले सम्मान॥…

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चंचल मनवा

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** मन के तो हैं पंख हजारों,मन पर लगा ना पहरा हैचंचल मनवा उड़ता-फिरता,एक जगह कब ठहरा है। बड़ा कठिन है वश में करना,ऋषि-मुनि ज्ञानी भी हार गएलाख…

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