अहम रहा पैसा कभी नहीं

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** जो आदमी शरीफ़ हो,देखा कभी नहीं। मेरे लिए अहम रहा पैसा कभी नहीं। जिसमें निरीह जीव की हत्या करे सभी, तू कर यकीन वह…

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विपरीत चल रही कश्तियां

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अपनों की विकराल स्मृतियां। कष्ट निवारक नहीं आकृतियांl तुम्हें क्या कहें और कैसे कहें, बांटी थी सब लिखित प्रतियां। दण्ड भोग रहा…

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जुबां को तलवार कर दिया…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** पहले तो खुद के इश्क में बीमार कर दिया। अपनी जुबां को बाद में तलवार कर दिया। ऐसी लगाई लत कि तलबगार हो गये, फिर…

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मिलती खुशियाँ नहीं ज़माने से

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मिलतीं खुशियाँ नहीं ज़माने से, मांग लेता हूँ मैं वीराने से। बाप-माँ तो खुदा सरीखे हैं, बाज आओ इन्हें रुलाने से। आग छप्पर की…

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समय कहाँं है

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** भूख मिटाऊँ समय कहाँं है। मंदिर जाऊँ समय कहाँं है॥ गीता पढ़ ली पाप हो गया, और कमाऊँ समय कहाँं है। सरपट…

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देखा है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************************************************************************************** हारना तीरगी का देखा है। हौंसला आदमी का देखा है। मंजिलों की लगन में राही ने, रास्ता कब किसी का देखा है।…

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दर्द सारे सह गए

सुदामा दुबे  सीहोर(मध्यप्रदेश) ******************************************* मौन से रहे कभी तो, दिल की कभी कह गए। हम भी अपने दर्द सारे, हँसते-हँसते सह गए। मुरझाये नेह सुमन, जिंदगी की धूप में, साजिशों…

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साथ तेरा पायेंगे

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** साथ तेरा अगर पायेंगे दूर तक। तब यक़ीनन सनम जायेंगे दूर तक। उलझनों से निजी जब उबर पायेंगे, देख तब ही कहीं…

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रुला तो न दोगे..

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचनाशिल्प:फाऊलुन×४, १२२ १२२ १२२ १२२) कहीं तुम मुझे यूँ भुला तो न दोगे। कि सपने सुहाने जला तो न दोगे॥ कयामत की रातें…

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नींद को वह उड़ाती रही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** याद मीठी सताती रही, नींद को वह उड़ाती रहीl माघ लेकर सुमन आ गया, गंध खुद को लुटाती रहीl सो गए बाँह में मीत…

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