जाग सुभागे जाग
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** दोहा आधारित… आया निंद्रा तोड़ने, कोई सर्वस्त्र त्याग।तेरी चिंता है उसे, जाग सुभागे जाग॥ आगे फैला फन खड़े, बड़े विषैले नाग।डस लेंगे ये उठ भगा, जाग सुभागे जाग॥ मधुर काल है वृक्ष के, उड़े सभी है काग।लाये हंस उतार कर, जाग सुभागे जाग॥ सारे रंग बिखर गया, वो कीचड़ का फाग,खेल रहे … Read more