जन-जन हिंदू हैं…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** माँ की पदरज सदा माथ का,पावन टीका बनती है।जिसकी धरती राम-श्याम ही,युगों-युगों से जनती है॥जहाँ देव भिलनी के फल से,तोषित जीवन पाते हैं।मनुज शान्ति को पाने जिसकी,भू…

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पुण्य पथ का भाव

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* कर्म ऐसा आप करते नित चलें।पुण्य पथ का भाव अंतर नित ढलें॥ बोलिए शुभ बोल भाषा नेक हो,हम मनुज के भाव निर्मल एक हो।द्वेष-छल को त्यागकर…

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दूजा गाल नहीं देंगे…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** भाल झुकाकर सजी हुई नित,अब हम थाल नहीं देंगे।एक गाल पर थप्पड़ खाकर,दूजा गाल नहीं देंगे॥ सहनशील हो बहुत सहा है,गाली देते आये हो।ऐसे आग लगाते हो…

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फौज़ी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ऐे सैनिक,फौज़ी,जवान,है तेरा नितअभिनंदन।अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन॥ गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी,अपनी माटी की रक्षा को,तेरी अमर जवानी।तेरी देशभक्ति लखकर के,माथे तेरे चंदन,अमन-चैन…

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शब्द का सौंदर्य

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** शब्द के सौंदर्य को जग में सजाकर ही रहूँगा।छंद की कारीगरी को आजमा कर ही रहूँगा॥ मुक्त कविता के समय में गा रहा हूँ शब्द लय…

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अन्तिम अनुसंधान नहीं है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ कोई अनुसंधान जगत का,अन्तिम अनुसंधान नहीं है। अनुसंधान नहीं है अन्तिम,तो है बस जीवन ही जीवनजो पा लिया उसी को पाना,बनता विषय खोज का नूतन।आदि अंत हो जिसका…

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मातृ वंदना

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मातृ वंदना प्रथम करूँ मैं,जन-जन का अभिमान है।जन्म धरा है इस माटी में,जीव जगत की शान है॥ शुभ किसान जो अन्न उपजाते,वंदन उनको कीजिए,अमर शहीदों की…

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अँधियार हटाता चल तू

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हर अँधियार हटाता चल तू।दीपक एक जलाता चल तू॥ सूरज बनकर सदा चमकना,खुशबू बनकर सदा महकना।वातावरण बनाता चल तू,हर अँधियार हटाता चल तू…॥ दुनिया का है…

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कौन बचाये!

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** अर्थी लेटा पूत धरा का,बोलो उसको कौन बचाये!स्वागत करते घने अँधेरे,छूट गयी पीछे रोशनियाँ!कर्जे से पसरा सन्नाटा,रोज डराता ब्याजू बनिया!आँखों के आगे छाये हैं,आँधी बरसातों के…

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माँ दे स्नेह समान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ईश्वर का अवतार सार माँ,जीवन का आधार।निर्मल ममता नित्य बाँटती,देती निश्छल प्यार॥ नित्य करे परिवार सुरक्षा,अनुपम सारे काम,भाव धरे हर क्षण सेवा का,माँ ही चारों धाम।पालन…

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