कोरोना का दंश…
नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** कोरोना का दंश गजब का,काँप रहा है जग सारा।सुबह-शाम तक सूरज सिर पे,फिर भी लगता अँधियारा॥ हर पल काँटे से चुभते हैं,आँखों से आँसू झरते।सिसक-सिसक कर साँसें चलतीं,तिल-तिल कर जीते-मरते।नीरसता सब ओर दिखे है,बुझा-बुझा मन बेचारा,सुबह-शाम तक सूरज सिर पे,फिर भी लगता अँधियारा…॥ जो घर में,परिवार साथ में,स्वस्थ,सुखी,किस्मत वाले।देख सुकूँ मिलता है … Read more