तेरे रूठने से

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** सुकेशी,तेरे रुठने से,चंचलता मेरी रूठ गई।खुशियों का कोई रिश्ता है,तेरे-मेरे इस बंधन में॥ देवी क्या तुझको पता नहीं,जब मेरा मन इठलाता है।मन तेरा भी तो साथ-साथ,बच्चा छोटा बन जाता है।सिर पर आकाश उठाते वे,जब स्वर्ग धरा पर ले आते।उन बच्चों की वो उछल-कूद,कैसी लगती है आँगन में॥खुशियों का कोई … Read more

कैद जिंदगी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हाय तपस बढ़ती जाती है,भाग रहा मन हमें छोड़कर बंद कक्ष में कैद जिंदगी, जाये,बंधन कहां तोड़कर।`कोरोना` यमदूत चतुर्दिक, खड़ा भुजाएं निज फैलायेएक-एक को निगल रहा है, मानव विकल कहां छिप जायेl जर्जर तन के भीतर कैसे, रक्खे साँसें जवां जोड़कर। यह विशाल दुनिया है कैसी, है विषाणुओं से भी छोटी इसमें हर … Read more

सकारात्मक सोच के माने

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** सकारात्मक सोच के माने,अच्छाई हर बात में जानें।परम पिता के किये ईशारे,की गहराई को पहचानेंll सकारात्मक सोच जहन में,अगर बो दिया जाता लोगों।शजर वही जब बन जाता है,मीठे फल खिलवाता लोगोंllएक दूसरे पहलू को भी,देखें हम तो बनें सयानें।परम पिता के किये इशारे,की गहराई को पहचानें…. जैसा सोच आचरण … Read more

पानी बरसा दे या रब

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** पानी बरसा दे या रब तो तर जाएंगे।वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे॥ पालने वाले हमसे क्यों नाराज है,तेरी रेहमत पे सबको बड़ा नाज है।तू ही जाने जो इसमें छिपा राज है,हम गरीबों की सुन ले ये आवाज है।झोलियां भर दे,खुश हो के घर जाएंगे,वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे…॥ तेरे … Read more

क्या तेरा क्या मेरा है

राजेश पड़िहारप्रतापगढ़(राजस्थान)*********************************************************** जो पाप किये सर मेरे धरता,धर्म कर्म सब तेरा है।ये जीवन है दो दिन का,क्या तेरा क्या मेरा है। मैंने जब ये जीवन पाया,जोड़ जगत ने काट दिया,बाल रूप में ईश मानकर,हाथों विष क्यों छांट दिया।पल-पल जग में ढली शाम तो,होता गया सवेरा है,ये जीवन है…ll केवल रूदन हँसी थी मन में,कोई न … Read more

बारिशों में गीत भीगे

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपालीभोपाल(मध्यप्रदेश)********************************************************************** (रचना शिल्प:मात्रा भार-यति-१४-१४, वज़्न-२१२२-२१२२-२१२२-२१२२,अर्कान -फाइलातुन×४) बारिशों में गीत भीगे,बादलों ने कह सुनाया,पावसी घनघोर मौसम,गीत सबने गुनगुनाया। बैठ पादप कूक मारे,वो पपीहा है मगन मन,आज हर्षित है भुवन पर,आज रमणी का विकल मन।शोर में था मोर नाचा,मोरनी ने सुर लगाया,पावसी घनघोर मौसम,गीत सबने गुनगुनाया॥ आज चकवा और चकवी,गान विरहा गा रहे वो,चाँद बिन … Read more

भारत के सच्चे सेनानी

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** भारत के सच्चे सेनानी,सबका मान बढ़ाते हैं,रण पर कुर्बानी से अपने,झण्डा वो फहराते हैं। हैं शहीद कितने भारत में,कितना रक्त बहाया है,हिंदुस्तान की शान-बान में,मर कर फर्ज निभाया है,साहस रखकर फर्ज निभाते,दुश्मन मार गिराते हैं,रण पर कुर्बानी से अपने,झण्डा वो फहराते हैं। घर पर बैठी घरवाली जो,अपना फर्ज निभाती है,बच्चे उनके … Read more

पावस

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** पावस में मन मेरा कहता,पाऊँ तेरा प्यार।तरस रहें हैं नयना मेरे,देखो यह श्रृंगार। पावस मेरा हृदय जलाती,आओ प्रियवर साथ।हृदय भाव को समझो मेरे,दो हाथों में हाथ।तन-मन व्याकुल तड़प रहा है,होवे कब दीदार।पावस में मन मेरा कहता,पाऊँ तेरा प्यार…। नीर नयन झर-झर बहते हैं,हृदय मिलन की आग।प्रेम प्रफुल्लित मचल रहा है,सुन लो … Read more

घाव बहुत गहरे हैं

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** रोदन करती आज दिशाएं,मौसम पर पहरे हैं,अपनों ने जो सौंपे हैं वो,घाव बहुत गहरे हैं। बढ़ता जाता दर्द नित्य ही,संतापों का मेलाकहने को है भीड़,हक़ीक़त,में हर एक अकेला। रौनक तो अब शेष रही ना,बादल भी ठहरे हैं,अपनों ने जो सौंपे वो,घाव बहुत गहरे हैं॥ मायूसी है,बढ़ी हताशा,शुष्क हुआ हर मुखड़ाजिसका … Read more

युद्ध बड़ा हरजाई

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** भारत और चीन के रिश्ते स्पर्धा विशेष…… दिल के आँगन में लालच ने,ही दीवार उठाई है।अगर विश्व परिवार हमारा,चीन हमारा भाई हैll अगर कोई सत्तर सालों के,रिश्तों को अपने तौले,सच्चाई आएगी सम्मुखबिना हमारे कुछ बोलेlचीन रहा विस्तारवाद का,पोषक सब ये जान रहे,बेईमान बला का उसको,सभी पड़ोसी मान रहे।बिना बात … Read more