कुल पृष्ठ दर्शन : 264

You are currently viewing पानी बरसा दे या रब

पानी बरसा दे या रब

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

****************************************************************

पानी बरसा दे या रब तो तर जाएंगे।
वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे॥

पालने वाले हमसे क्यों नाराज है,
तेरी रेहमत पे सबको बड़ा नाज है।
तू ही जाने जो इसमें छिपा राज है,
हम गरीबों की सुन ले ये आवाज है।
झोलियां भर दे,खुश हो के घर जाएंगे,
वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे…॥

तेरे भंडार में क्या कमी है बता,
बख्श दे मौला हमको न ज्यादा सता।
जो है हालत हमारी वो तुझको पता,
कर करम इब्ने हैदर का है वास्ता।
तर जमीं कर दें गुलशन निखर जाएंगे,
वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे…॥

हमने माना बड़े हम गुनहगार हैं,
क्या करें आदतों से ही लाचार हैं।
उम्मती तेरे मेहबूब के ख्वार हैं,
प्यार में तेरे पर हम गिरफ्तार हैं।
माफ कर दें तो जीवन संवर जाएंगे,
वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे…॥

तपती धरती ‘अनंत’ ये तपता गगन,
सारे जन हैं विकल तेरी लागी लगन।
पानी बरसा दे तो ठंडी हो ये अगन,
क्या तू देखेगा जलती हुई अंजुमन।
तू करम कर दे हालात सुधर जाएंगे,
वरना,बेमौत सारे ही मर जाएंगे॥

Leave a Reply