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बारिशों में गीत भीगे

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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(रचना शिल्प:मात्रा भार-यति-१४-१४, वज़्न-२१२२-२१२२-२१२२-२१२२,अर्कान -फाइलातुन×४)

बारिशों में गीत भीगे,बादलों ने कह सुनाया,
पावसी घनघोर मौसम,गीत सबने गुनगुनाया।

बैठ पादप कूक मारे,वो पपीहा है मगन मन,
आज हर्षित है भुवन पर,आज रमणी का विकल मन।
शोर में था मोर नाचा,मोरनी ने सुर लगाया,
पावसी घनघोर मौसम,गीत सबने गुनगुनाया॥

आज चकवा और चकवी,गान विरहा गा रहे वो,
चाँद बिन आकाश सूना,आज बदरा छा रहे वो।
गीत की धुन में परिंदों,ने भुवन में चहचहाया,
पावसी घनघोर मौसम,गीत सबने गुनगुनाया॥

हैं लता प्रमुदित सुवासित,और सुरभित आज कानन,
मन प्रफुल्लित हो रहा,हर्षित हुई हैं आज आनन।
यौवनी बाला कदम की,डाल पर झूला बनाया,
पावसी घनघोर मौसम,गीत सबने गुनगुनाया॥

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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