सिगरेट बोले रे…

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** (रचना शिल्प:तर्ज-झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में) सिगरेट बोले रे,जीवन की मंझधार में,सिगरेट बोले रे..., चाचा आओ ताऊ आओ,छत पर लो सुलगाओ, जी कर क्या…

0 Comments

करीब और तुम जरा चले आओ…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** मेरी शाख के काँटों पे मत जाओ, मेरे करीब और तुम जरा चले आओ। मेरी पंखुड़ी छू के बहक जाओगे, मेरी खुशबू पा…

0 Comments

मानव मूल्य कहाँ बच पाए…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** स्वार्थ परस्ती में बोलो अब, 'मानव मूल्य कहाँ बच पाए', मानव तो कहलाते हैं पर,मानवता हम कब रच पाए। नारी के शोषण पर बोलो,क्या आँखें…

0 Comments

झिझक

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** झिझक मेरी,झिझक उसकी, सिले लब,ना हुई बातें, तसव्वुर में,फिर इक-दूजे से, बतियाते कटी रातेंl किया वादा ये खुद से खुद ही, कि मैं अब…

0 Comments

ऐसा मुझे वर दे

कृष्ण कुमार कश्यप गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ************************************************************************** हँसता हुआ मनभावन चेहरा। तू जग पाला तू ही सहारा। दुखियों के दुःख हरने वाली तू, अम्बे माँ...अम्बे माँ, ग़ौरी माँ...गौरी माँ। पहले मेरे…

0 Comments

बनाओ सबको अपना मीत

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* जीवन है सबका संगीत, बनाओ सबको अपना मीत। बचपन कितना सुंदर होता, कल्मष कभी न मन में बोता। हर क्रीड़ा लगती है मानो, बन रहा…

0 Comments

व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजन….

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* जल शक्ति,जन शक्ति, व्यर्थ न बहाओ पानी,ओ रे सजनl पानी से ही जीवन बने सुंदर वन, जन्म हुआ पृथ्वी का ताप ही ताप…

0 Comments

मेरी माँ आ रही है

सौदामिनी खरे दामिनी रायसेन(मध्यप्रदेश) ****************************************************** छम-छम की धुन देखो कानों में आ रही है, बजती देखो पायल,मेरी माँ आ रही है। भक्तों आई टोली जयकारे लगा रही है, गीतों में मधुर…

0 Comments

उजाले- अंधेरे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** उजाले-अंधेरे संग चलते हैं, मगर दोनों विपरीत ही पलते हैं। उजाला नहीं ऐसे आता है जग में, नहीं उजाला खुद होता है मन में। प्रयत्न…

0 Comments

हिंदीभाषा माला

मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’ कोटा(राजस्थान) *****************************************************************************  (तर्ज:चांदी की दीवार न तोड़ी, प्यार भरा दिल...,रचना विधान-१६,१४ पर यति वाला,ताटक छंद पर आधारित) हे हिंदी तू उर में सजती,सुमन सुगन्धित माला है,…

0 Comments