बाँधे मन ही जीव को

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प-अष्टावक्र गीता के श्लोकों का हिंदी अनुवाद) बंधन कारण यह सभी,काम,शोक,मितत्याग।कभी ग्रह्ण व प्रसन्नता,या मन क्रोधी आगll ठीक उलट है मुक्तिपथ,काम शोक नहीं त्याग।नहीं ग्रहण न प्रसन्नता,नहीं क्रोध की आगll बंधन मन आसक्ति है,मुक्ति कामनाहीन।बाँधे मन ही जीव को,वही मुक्त भी कीनll मैं-मेरा का भाव ही,जब तक,बाँधे जीव।नहीं त्याग नहिँ … Read more

बेटी-कुदरत का वरदान

बुद्धिप्रकाश महावर मनमलारना (राजस्थान) **************************************************** दाता तो भगवान है,गुरु है बड़ा महान।मात-पिता सबसे बड़े,पूजे सकल जहान॥ बेटा सूरज तेज सम,बेटी शीतल छाँव।बेटी है अनमोल धन,जिस घर बेटी पाँव। बेटी से दुनिया बने,बिन बेटी सब सून।माँ दादी नानी बहन,देती बड़ा सुकून॥ पढ़ा-लिखा और मान दो,फिर हो कन्या दान।दोनों कुल का नाम हो,आन-बान अर शान। ब्रह्मा विष्णु … Read more

जनमत समझो मंत्र

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************ जनता से सत्ता बनी,जनता से गणतन्त्र।जनता दे सत्तावनत,जनमत समझो मंत्र॥ करो प्रगति जनता सदा,चिन्तन जन कल्याण।निर्भय सम्बल जब प्रजा,हो सत्ता का त्राण॥ लोकतन्त्र होता सफल,हो समता अधिकार।संविधान सम्मत चले,नीति प्रीति आधार॥ अभिव्यक्ति स्वाधीनता,करे न देश विरोध।सबसे ऊपर देश हित,बने नहीं अवरोध॥ सृजन कुंज भारत बने,कुसमित गंध निकुंज।जन विकास केवल … Read more

जीवनानंद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************ सत्य,प्रेम,अपनत्व से,जीवन में आनंद।द्वेष,कपट अरु झूठ को,करता कौन पसंद॥ जिसका मन है सात्विक,वह रहता खुशहाल।काम,क्रोध औ’मोह तो,बुरा करें नित हाल॥ जीवन का आनंद तब,पा सकता इनसान।जब वह नित हर एक का,करता है सम्मान॥ अंतर्मन में शुद्धता,तो बिखरे आनंद।पाक़ साफ इनसान को,करते सभी पसंद॥ करुणा का ले भाव जो,करते हैं आचार।उनको … Read more

प्रतीक्षा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************************** करूँ प्रतीक्षा आपकी,बन जाए कुछ बात।सपनों में जगता रहा,दिन अरु सारी रात॥ मीठी-मीठी याद में, बीते सुबहो शाम।प्रिये प्रतीक्षा मैं करूँ,जपता हूँ मैं नाम॥ आँखें मेरी थक गयी,देखूँ राह निहार।आज प्रतीक्षारत रहा,पाने को मैं प्यार॥ दुनिया की हर चीज भी,फीकी पड़ती जाय।तेरे बिन भाता नहीं,कोई समझ न आय॥ कब से … Read more

नयी भोर नव आश मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************* नई भोर नव आश मन,नव अरुणिम आकाश।मिटे मनुज मन द्वेष तम,मधुरिम प्रीति प्रकाश॥ मार काट व्यभिचार चहुँ,जाति धर्म का खेल।फँसी सियासी दाँव में,हुई मीडिया फ़ेल॥ अनुशासन की नित कमी,लोभ घृणा उत्थान।प्रतीकार में जल रहा,शैतानी हैवान॥ मिटी आज सम्वेदना,दया धर्म आचार।कहाँ त्याग परमार्थ जग,पाएँ करुणाधार॥ सत्ता के मद मोह में,अनाचार … Read more

करुणा जीवन सार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************** दया,नेह,संवेदना,करुणा जीवन-सार।उर महके अपनत्व से,तो फैले उजियारll बुद्ध बने तब बुद्ध जब,जागा करुणा-भाव।मानव तब मानव बने,कोमल रहे स्वभावll सत्य,अहिंसा,वेदना,से नित नव-संसार।करुणा से श्रंगार हो,तो मंगल आसारll गांधी,ईसा के हृदय,करुणा का संसार।महावीर करते रहे,करुणा से नित प्यारll टेरेसा तब माँ बनीं,जब करुणा-आवेग।मानवता को दे गईं,वे तो नेहिल नेगll अश्रु नयन से … Read more

सोच सदा जग स्वस्ति की

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************ जय सुधीर गंभीर नर,उद्यमशील विनीत।सफल कीर्ति अनमोल धन,निशिचन्द्र मधुप्रीत॥ अर्थ बने सम्बन्ध के,अपनापन विश्वास।साथ खड़े सुख त्रासदी,हो रिश्ते आभास॥ बँटे सहोदर स्वार्थ में,भूले सब दायित्व।लखि हर्षित दुखार्त में,खोए गुण अस्तित्व॥ साथ खड़े जो मीत हो,त्यागमूर्ति परमार्थ।सौ जीवन उस प्रीत दूँ,सखा कृष्ण सम पार्थ॥ सोच सदा जग स्वस्ति की,साधुचित्त समुदार।सचमुच … Read more

अपना प्यारा गाँव

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** भुला न पाएंगे कभी,वट की शीतल छाँव।हर लेता ‘शिव’ पीर सब,अपना प्यारा गाँव॥ ‘शिव’ बैलों की घंटियाँ,सघन पेड़ की छाँव।याद बहुत आता मुझे,बचपन वाला गाँव॥ हुए प्रदूषित अब शहर,नित्य चलें ‘शिव’ दाँव।मन को आनन्दित करे,अपना प्यारा गाँव॥ पक्षी नित कलरव करें,नहीं सियासी दाँव।पहले जैसा आज भी,लगता अपना गाँव॥ कोयल अब गाती … Read more

अलग-अलग दो दीप

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** गांधी जयंती विशेष….. दो अक्तूबर को जले,अलग-अलग दो दीप।कृषक मसीहा एक ‘शिव’,दूजा सत्य प्रदीप॥ लाल बहादुर लाल सा,नहीं जगत में लाल।समरसता अरु सादगी,उनकी बनी मिसाल॥ ‘गाँधी’ ‘शास्त्री’ ने किया,सभी दिलों पर राज।जन्म जयंती पर उन्हें,करता नमन समाज॥ सत्य अहिंसा न्याय का,फैलाया सन्देश।बापू के आदर्श से,नतमस्तक है देश॥ देशभक्ति अरु सादगी,की ‘शिव’ … Read more