पांडेय जी के हसीन सपने और बदलती दुनिया

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** पांडेय जी अचानक से बौद्धिक हुए, जब उनके मन में विचार आया कि हाथी के दांत खाने के और दिखावे के और हुआ करते हैं; उन्होंने यह भी…

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जूते की महिमा

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** बचपन में हमें बताया गया था कि जूता पैर में पहनना जरूरी है, क्योंकि जूता पैर की सुरक्षा करता है। कुछ बड़े होने पर…

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काश! मैं किसी कंपनी का निदेशक (वित्त) होता!

डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** काश! मैं बड़े निगम का निर्देशक (वित्त) होता-जो कि सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि एक शक्ति-पोषक स्थिति है। मैं बस बैलेंस शीट ही नहीं, बल्कि उसके साथ…

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पांडेय जी और दिल की दिल्लगी

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** हुआ क्या चुनांचे! दिल है मांगे कुछ, सोचे कुछ। पांडेय जी ने कई दिनों से अपनी गाड़ी सड़क पर नहीं निकाली, जब से मेट्रो से दिल लगा बैठे।…

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अर्थव्यवस्था की रीढ़-सिविल इंजीनियर देवो भव!

डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** हम भारतीयों को अपने आराध्य देवों की पूजा करना सदा से प्रिय रहा है। कोई भोलेनाथ की आराधना करता है, कोई गजानन को प्रसन्न करता है, कोई…

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बॉस इस आलवेज राइट!

डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** आजकल ऑफिस में काम करने के लिए केवल डिग्री, कम्प्यूटर और फॉर्मल कपड़े काफी नहीं हैं। जो सबसे ज़रूरी चीज है, वह है-बॉस की चापलूसी। और यह…

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विकसित भारत और हम…

कवि संगम त्रिपाठीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************************* विकास के कुछ पायदानों को अब जोड़ा जाना है... अर्थात हमारे देश की विकास की दिशा में निरंतर वृद्धि हो रही है, इसमें कोई संदेह नहीं…

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गालियों का बाज़ार

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** शहर के बीचों-बीच एक नया 'बाज़ार' खुला है-नाम है 'गालियों का बाज़ार।' यहाँ सब कुछ बिकता है-आत्मा का सौंदर्य छोड़कर। कहने को तो यह भाषाई…

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मुफ्त के ज्ञान की बाढ़

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मुफ्त के ज्ञान और इन ज्ञानियों ने हर एक तरफ़ माहौल-सा बना कर रखा हुआ है, क्योंकि मुफ़्त के चंदन का अपना अलग मजा होता…

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पांडेय जी और शादी वाली रात के किस्से

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** "भाई साहब नमस्ते" अगले को कहा ही था…कहने लगे "पेले तो हमारे साथ बैठिए, यह क्या बात हुई कि आप महिलाओं के हिस्से में जा पड़े!"मन की बात…

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