नवभोर नमन
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** नवभोर नमन मंगलमय जन,खिले चमन नव प्रगति सुमनपथ नवल सोच नवशोध सुयश,नवयुवा देश हित भक्ति किरण। कर्म कुशल युवा जन-मन भारत,सच्चरित्र ज्ञान पथ उठे…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** नवभोर नमन मंगलमय जन,खिले चमन नव प्रगति सुमनपथ नवल सोच नवशोध सुयश,नवयुवा देश हित भक्ति किरण। कर्म कुशल युवा जन-मन भारत,सच्चरित्र ज्ञान पथ उठे…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** यूँ लब थरथराने लगे,तुम जो मेरे नजदीक आए। महकती खुशबू जो महका गई,तुम जो मेरे नजदीक आए। नजरें ढूंढती रही हर दम तुम्हें,तुम जो मेरे नजदीक आए।…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* चुप का प्रश्नों पर जब साया होता है।राज़ यक़ीनन तब कुछ गहरा होता है। विश्वासों पर जब भी हमला होता है।दिल पर उनका गहरा…
वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ जाना चाहती हूँ आनंदित होने,वन-वन मोहक दृश्य विचरण करनेकश्मीर-सा सुंदर मन भरने,चिनारों को भेदतीसूर्य किरणों को,गोल-गोल घूम कर साथ नचानेहिम आच्छादित पहाड़ों को,धूप से पिघलते हुए देखनेपत्तों की…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी- प्रति चरण १६ मात्रा, मुखड़ा ४ चरणों का, तथा तीन अंतरे ८-८ चरणों के प्रभु की रचना, कितनी न्यारी,जीव-जगत ने हर सुख पाया।मन…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** भागो,सूरज पिघल रहा हैधरती की ओर,सैलाब बढ़ रहा है…चलो चाँद पर चलें,चाँद यहीं गिर जाएगातब ? मंगल,शनि,बुध…मेंन सभी है…सूरज की लपक लपट में,निहारिका,आकाश गंगा ?सब-कुछ जल रहा…
जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** कभी-कभी इच्छानुरूप कुछ होता और सुहाता है,मन बाग-बाग होता, मन का मौसम बन जाता है। हर बात मन को भाती, कुछ-कुछ होने लगता है,सब-कुछ अच्छा लगता,…
डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* यह परिवार कहीं टूटे न,इसका होना भाग्य हैमाले की तरह पिरो रखें,निज कर्त्तव्य ही सौभाग्य है। लोगों के इस झुण्ड में,सब रिश्ते-नाते खो गएहुआ करते थे…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* ख़्वाब संभाला हमने ऐसे,बीते हुए वर्षों में जैसेनींद उड़ी आँखों से जैसे,याद न आई तुमको कैसे ! सपने में हर पल जैसे,वो लम्हे मन में बसाए…
एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** जिंदगी के बियाबान में,जो तनहा रह जाते हैंदिल तड़पता रहता है,चैन से नहीं रह पाते हैं। जीवन की शाम होते ही,ये परिवार टूटने लगते हैंहरे-भरे रिश्तों के पेड़…