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कविताएँ लिखती हूँ तुम्हारी मुस्कुराहट के लिए

वंदना जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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तुम्हारी एक मुस्कराहट के लिए,
चढ़ जाती हूँ कल्पनाओं के पहाड़ों पर
अपने मन को लेकर,
प्रेम की बैसाखी के सहारे।

कभी बादलों से मिन्नतें करती हूँ,
कि जम कर बरसें
पर्वतों से कहती हूँ कि,
निर्झरों की साँकलें खोल कर
उन्हें आजादी दें।

नदियों को दौड़ लगाने और,
कल-कल का मधुर संगीत
तुम तक पहुँचाने का आदेश देती हूँ,
कभी समुद्र की लहरों को दायरे में
रहने की हिदायतें देती हूँ।

वृक्षों को हवाओं से बातें करते हुए,
मेरे बालों को लहराने
और पतझर में पत्तों की परत में,
हमें छुपाने के लिए मना लेती हूँ।

मन के कोरे कैनवास को,
तुम्हारे हाथों से रंगने के लिए
इंद्रधनुषीय रंगों को बुला लेती हूँ।

जानते हो थोड़े से जतन से,
मुझे क्या मिलता है ?
तुम्हारी स्मित मुस्कानें,
जीवित कर देती है मेरी मुस्कान को॥

परिचय-वंदना जैन की जन्म तारीख ३० जून और जन्म स्थान अजमेर(राजस्थान)है। वर्तमान में जिला ठाणे (मुंबई,महाराष्ट्र)में स्थाई बसेरा है। हिंदी,अंग्रेजी,मराठी तथा राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन)है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि बतौर सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित हुआ है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा वआत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज कुमार विश्वास हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।’

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